लोकतंत्र नेहरू की देन नहीं-मोदी

बुधवार, 7 फ़रवरी 2018 (15:49 IST)
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए उस पर देश का विभाजन करने का आरोप लगाया और कहा कि देश में लोकतंत्र स्थापित करने का उसका दावा पूरी तरह गलत है क्योंकि यहां हजारों वर्षों से लोकतांत्रिक परंपराएं हैं।
 
कांग्रेस और वाम दलों के भारी शोरशराबे और नारेबाजी के बीच मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लोकसभा में धन्यवाद प्रस्ताव पर मंगलवार को हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस ने देशहित में नहीं बल्कि राजनीतिक स्वार्थ को ध्यान में रखकर फैसले किए, जिनका खामियाजा देश आज तक भुगत रहा है।
 
उन्होंने कहा कि कांग्रेस को यह अहंकार है कि देश को लोकतंत्र प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू और उसने दिया है जबकि वास्तविकता यह है कि भारत में लोकतंत्र हजारों साल से है। सदन में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन के कल के भाषण के संदर्भ में उन्होंने कहा कि कांग्रस हमें लोकतंत्र का पाठ न पढ़ाए।
     
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह दुर्भाग्य है कि कांग्रेस नेताओं को लगता है कि भारत का जन्म 15 अगस्त 1947 को हुआ और लोकतंत्र आया। उन्होंने कहा कि लिच्छवी साम्राज्य और बौद्धकाल में भी लोकतंत्र की गूंज थी। उन्होंने खड़गे को याद दिलाया कि उनके गृह राज्य कर्नाटक से ताल्लुक रखने वाले जगदगुरु विश्वेश्वर ने 12वीं शताब्दी में ऐसी व्यवस्था की थी जिनमें सब कुछ लोकतांत्रिक ढंग से होता था और महिलाओं की भागीदारी भी अनिवार्य थी। ढाई हजार वर्ष पहले गणराज्य की व्यवस्था थी जिसमें सहमति और असहमति का सम्मान होता था। इसतरह लोकतंत्र हमारी रगों और परंपराओं में है।
 
कांग्रेस पर वंशवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उसने अपनी पूरी ताकत एक परिवार का गुणगान करने में लगा दी। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की बात करने वाली इस पार्टी के नेता राजीव गांधी एक बार जब हैदराबाद गए तो उन्होंने हवाई अड्डे पर उनकी अगवानी के लिए आए आंध्रप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री टी. अंजैया का सरेआम अपमान किया, जो दलित समुदाय से थे। इसी अपमान की आग से तेलुगू देशम पार्टी अस्तित्व में आई और एनटी रामाराव फिल्म क्षेत्र छोड़कर राजनीति में आए। 
 
मोदी ने कहा कि ऐसी पार्टी लोकतंत्र की बात करती है जिसमें 90 से अधिक बार संविधान के अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग कर विभिन्न राज्यों की सरकारों और उभरते हुए राजनीतिक दलों को उखाड़ा। आत्मा की आवाज में कांग्रेस का लोकतंत्र दब जाता है।
 
इसी पार्टी ने राष्ट्रपति पद के अपने अधिकृत उम्मीदवार नीलम संजीवा रेड्डी के खिलाफ मतदान कर उनकी पीठ में छुरा भोंका था। कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने अपनी ही पार्टी के प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह के मंत्रिमंडल के एक निर्णय के संवाददाता सम्मेलन में टुकड़े-टुकडे कर दिए थे। उन्होंने कहा कि आपके मुंह से लोकतंत्र की बात शोभा नहीं देती।
 
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद सरदार पटेल को प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया गया जबकि 15 कांग्रेस कमेटियों में से 12 ने उन्हें चुना था। इसके बावजूद पंडित नेहरू को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठा दिया गया। सरदार पटेल यदि प्रधानमंत्री बन गए होते तो आज कश्मीर की समस्या ही नहीं होती। 
 
कांग्रेस पर राजनीतिक स्वार्थ के लिए देश का विभाजन करने का आरोप लगाते हुए मोदी ने कहा कि इससे उसने जो जहर बोया उसकी सजा देश की सवा सौ करोड़ आबादी आज भी भुगत रही है। मोदी ने लगातार नारेबाजी कर रहे कांग्रेस और वाम दलों के सदस्यों पर निशाना साधते हुए कहा कि लोकतंत्र में विरोध ठीक है लेकिन सिर्फ विरोध के लिए विरोध करना उचित नहीं है।
 
आंध्रप्रदेश के विभाजन से उपजी स्थितियों के लिए भी कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने कहा कि उसने राजनीतिक स्वार्थ को ध्यान में रखकर चुनाव की हड़बड़ी में यह फैसला किया। उन्होंने कहा कि नए राज्य के पक्ष में भाजपा भी थी लेकिन जिस तरह से संसद के दरवाजे बंद करके यह फैसला किया गया उससे गड़बड़ी हुई है।
 
उल्लेखनीय है कि आंध्रप्रदेश से तेलुगू देशम पार्टी और वाईएसआर कांग्रेस के सदस्य कल सदन की पूरी कार्यवाही के दौरान तथा आज प्रश्नकाल के समय आंध्रप्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा और विशेष पैकेज देने की मांग करते हुए अध्यक्ष के आसन के पास आकर लगातार नारेबाजी करते रहे।
 
मोदी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और झारखंड के रूप में तीन नए राज्यों का गठन किया था, लेकिन उन्होंने राजनीतिक स्वार्थ के लिए यह फैसला नहीं किया था इसलिए अधिकारियों के तबादले समेत सभी काम सुगमता से हो गए थे। (वार्ता)

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