नई दिल्ली। देश के एकमात्र फार्मूला वन बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट पर पिछले कुछ वर्षों से बेशक फार्मूला वन रेस का आयोजन न हो रहा हो लेकिन देश के युवा इंजीनियरों को इस सर्किट पर फार्मूला कार बनाने और उसे दौड़ाने का अभूतपूर्व मौका मिलेगा।
भारत की सबसे बड़ी फार्मूला स्टूडेंट प्रतियोगिता सुपरा एसएई इंडिया के पांचवें संस्करण का आयोजन अग्रणी वाहन निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी के सहयोग से ग्रेटर नोएडा स्थित बुद्ध सर्किट में चार से नौ जुलाई तक किया जाएगा, जिसमें इंजीनियरिंग छात्रों को फार्मूला कार बनाने का मौका मिलेगा और कुछ चुने हुए छात्र अपनी रेसिंग कारों को अंतिम दिन बुद्ध सर्किट पर दौड़ाएंगे।
सुपरा एसएई इंडिया के संयोजक प्रशांत बनर्जी ने सोमवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि इस बार प्रतियोगिता में कुल 150 टीमें और 3750 प्रतियोगी हिस्सा लेंगे। इनमें 200 की संख्या में महिलाएं भी हैं और महिलाओं की एक टीम भी कार्यक्रम का हिस्सा होगी।
बनर्जी ने बताया कि 2011 में मद्रास में जब पहला संस्करण लांच किया गया था तब 59 कॉलेज टीमों ने हिस्सा लिया था और अब यह संख्या 150 कॉलेज टीमों तक पहुंच चुकी है।
उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र से 43 टीमें और तमिलनाडु-आंध्र से 56 टीमें हिस्सा लेंगी, जबकि शेष टीमें दिल्ली एनसीआर से होंगी। महिला वर्ग में दो विशेष पुरस्कार दिए जाएंगे, जिसमें सर्वश्रेष्ठ महिला भागीदार को और सर्वाधिक महिला रखने वाली टीम को पुरस्कार मिलेगा।
इस अवसर पर मारूति सुजुकी के कार्यकारी निदेशक (मार्केटिंग एंड सेल्स) आरएस कल्सी ने कहा, यह कार्यक्रम युवा इंजीनियरिंग छात्रों को अपनी कल्पना को एक ऊंची उड़ान देने और फार्मूला कार विकसित करने का मौका देता है। यह कार्यक्रम छात्रों को फार्मूला प्रोटो टाइप कार को डिजाइन करने, इसे बनाने और चलाने का बेहतरीन अवसर प्रदान करता है।
बनर्जी ने कार्यक्रम के तकनीकी पहलुओं की जानकारी देते हुए बताया कि इस बार विशेषज्ञ पैनल में जर्मनी सेतीन और रूस से एक एक्सपर्ट को शामिल किया गया है जो छात्रों द्वारा कारों के डिजाइन, उनकी सुरक्षा, आवाज और गति के पहलुओं का आकलन करेंगे। इन विशेषज्ञों की राय के बाद 25 से 30 कारों का चयन किया जाएगा, जो प्रतियोगिता के अंतिम दिन रेस करेंगी और विजेता को पुरस्कृत किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि पहले यह संख्या 10 से 12 हुआ करती थी लेकिन इस बार इसे हम बढ़ाकर 25-30 के लगभग ले जा रहे हैं। कार के खर्च के बारे में पूछने पर बनर्जी ने बताया कि एक कार को बनाने में लगभग छह से 10 लाख का खर्च आता है और यह खर्च छात्रों को खुद उठाना पड़ता है।
कार की गति के लिए उन्होंने कहा कि यह सबकुछ कार के वजन और ईंजन पर निर्भर करेगा और पिछले चार संस्करणों में अधिकतम गति 120 किलोमीटर प्रति घंटा रही थी। (वार्ता)