राज्य सरकार से प्राप्त प्रस्तावों के बाद अब तक कुल 3686 स्मारकों को राष्ट्रीय महत्व के स्थल घोषित किया जा चुका है और ये सभी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के संरक्षण में हैं। हालांकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संरक्षित स्मारकों की सूची में और प्राचीन स्मारकों को शामिल करने के लिए पिछले कुछ समय में कोई अनुरोध प्राप्त नहीं हुआ था लेकिन राज्य सरकारों से अभी तीन स्मारकों को इसमें शामिल करने का अनुरोध मिला था।
ओडिशा सरकार ने इन स्मारकों को राष्ट्रीय धरोहर बताते हुए इन्हें राष्ट्रीय महत्व के स्थलों की सूची में शामिल करने के लिए संस्कृति मंत्रालय को मंदिरों की एक लंबी सूची दी थी। संबलपुर जिले के हुमा में विमलेश्वरी मंदिर, नयागढ़ जिले के कांटिलो में नीलमाधव मंदिर, गंजम जिले में गंजम का किला, बारागढ़ जिले के पइकमाल में नृसिंह नाथ मंदिर, भुवनेश्वर के सरी देउला के किनारे सुकुसरी देउला और भवानीशंकर मंदिर परिसर तथा मध्यप्रदेश के महू में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर, लखनऊ में मदन मोहन मालवीय और महाराष्ट्र के शोलापुर में डॉक्टर द्वारिकानाथ कोटनिस के जन्मस्थान को इस सूची में शामिल करने का प्रस्ताव किया गया था।
पूर्वोत्तर में उत्तर त्रिपुरा के समीप उनाकोटि में चट्टानों को काटकर बनाए गए शिल्प, पश्चिम त्रिपुरा जिले के बोक्सानगर में बौद्ध स्तूप और दक्षिण त्रिपुरा के पिलाक में उत्खनन में निकले नवग्रह मंदिर तथा इसी जिले के छबिमुरा में गोमती नदी के तट पर चट्टानों को काटकर बनाए गए शिल्प को भी इस सूची में रखा गया था।
राजस्थान के खेत्री में फतेह विलास और मध्यप्रदेश में बजरंग गढ़ किले को भी इसमें शामिल करने का आग्रह किया था। हाल में जिन स्मारकों के संरक्षित सूची में शामिल करने का प्रस्ताव किया गया, उनमें पटना कॉलेज की इमारत और जैक्सन होस्टल भी शामिल हैं। (वार्ता)