मोदी ने आकाशवाणी पर 'मन की बात' कार्यक्रम में कहा कि उपग्रह निर्माण में पिछले कई वर्षों में अनेक विद्यार्थियों ने योगदान दिया है। पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों ने अपनी मेहनत से उपग्रह बनाया, जिसे 22 जून को प्रक्षेपित किया गया। इसी तरह चेन्नई के सत्यभामा विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी एक उपग्रह बनाया, जिसका प्रक्षेपण भी किया गया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ये एकेडेमिक सैटेलाइट एक प्रकार से युवा भारत के हौसले की उड़ान का जीता जागता नमूना है। इन छोटे से उपग्रहों के पीछे जो सपने हैं, वे बहुत बड़े हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा प्रक्षेपित ये दोनों दोनों उपग्रह बेहद ख़ास हैं और सभी छात्र बधाई के पात्र हैं।
मोदी ने 22 जून को इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा एक साथ रिकॉर्ड 20 उपग्रह अन्तरिक्ष में भेजने पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि इनमें से 17 उपग्रह अन्य देशों के हैं। अमेरिका सहित कई देशों के उपग्रह प्रक्षेपित करने का काम भारत की धरती से, भारत के वैज्ञानिकों द्वारा हुआ और इनके साथ वह दो उपग्रह भी अंतरिक्ष में पहुंचे, जो हमारे छात्रों ने बनाए थे।