राष्ट्रीय कागज़ दिवस विशेष: पर्यावरण का मित्र है कागज, दुश्‍मन नहीं

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

बुधवार, 30 जुलाई 2025 (14:11 IST)
प्रतिवर्ष 1 अगस्त को राष्ट्रीय कागज़ दिवस उत्साहपूर्वक मनाया जाता है। प्राचीन काल से आधुनिक युग तक, कागज़ शिक्षा, विचारों के संचार और नवाचारों की नींव के रूप में हमारे जीवन का अभिन्न अंग रहा है। लोगों में कागज़ से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने और जागरूकता फैलाने के लिए इंदौर पेपर ट्रेडर्स एसोसिएशन विभिन्न आयोजन करता है। इनमें स्कूलों में सेमिनार, चित्रकला प्रतियोगिताएं, और वृक्षारोपण शामिल हैं।

इस वर्ष, एसोसिएशन ने 25 जुलाई 2025 को वेदांत इंटरनेशनल स्कूल में एक सेमिनार आयोजित किया, जिसमें लगभग 400 बच्चों ने भाग लिया। इस दौरान बच्चों को कागज़ निर्माण की प्रक्रिया और इससे जुड़े मिथकों के बारे में जानकारी दी गई। इसके अतिरिक्त, एसोसिएशन इस वर्ष विभिन्न विद्यालयों में 3000 छात्रों के बीच चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित कर रहा है। साथ ही, 1 अगस्त 2025 को न्यू ग्रीन फील्ड पब्लिक स्कूल में एक और सेमिनार आयोजित होगा, जिसमें 400 से 500 बच्चों के शामिल होने की उम्मीद है।

एसोसिएशन का मुख्य उद्देश्य यह जागरूक करना है कि कागज़ प्रकृति का सच्चा साथी है और इसे बिना किसी अपराधबोध के उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए एसोसिएशन सोशल मीडिया पर वीडियो प्रसारित करता है और हर साल अगस्त में पेपर डे के अवसर पर वृक्षारोपण करता है।

यह धारणा कि कागज़ पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, पूरी तरह भ्रामक है। भारत में उत्पादित कागज़ का 71% रद्दी कागज़ (पुनर्चक्रित), 8% कृषि अवशेषों (जैसे गेहूं की भूसी, चावल की भूसी, और बगास), और केवल 21% पेड़ों की लकड़ी से बनता है। यह लकड़ी भी कागज़ उद्योग द्वारा विशेष रूप से रोपित पेड़ों से प्राप्त होती है, न कि सार्वजनिक वनों या सरकारी भूमि से। कागज़ उद्योग लाखों हेक्टेयर में वृक्षारोपण करता है, जिससे पर्यावरण संरक्षण को बल मिलता है और किसानों को रोजगार प्राप्त होता है।

दूसरी ओर, वनों और सार्वजनिक स्थानों से काटे जाने वाले 82% पेड़ इमारती लकड़ी के लिए उपयोग होते हैं। अतः, पेड़ों की रक्षा के लिए इमारती लकड़ी का उपयोग कम करना होगा, न कि कागज़ का। कागज़ 100% पुनर्चक्रण योग्य और जैविक उत्पाद है, जो पर्यावरण का हितैषी है। शिक्षा के लिए कागज़ अपरिहार्य है। पुस्तकें, नोटबुक, संविधान, रजिस्ट्री, नक्शे, बैंक दस्तावेज, धार्मिक ग्रंथ, अनुबंध, और डिग्रियां—सभी के लिए कागज़ अनिवार्य है।

डिजिटल युग में भी कागज़ की प्रासंगिकता अटल है, क्योंकि यह ज्ञान प्रसार और सांस्कृतिक संरक्षण का आधार है। अधिक कागज़ उपयोग से वृक्षारोपण को प्रोत्साहन मिलता है, जिससे पर्यावरण मजबूत होता है और ग्लोबल वॉर्मिंग को रोकने में मदद मिलती है। इंदौर पेपर ट्रेडर्स एसोसिएशन इन गतिविधियों के माध्यम से कागज़ के महत्व और इसके पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास कर रहा है। यह जानकारी अध्यक्ष, इंदौर पेपर ट्रेडर्स एसोसिएशन गगन गुप्ता ने दी।
Edited By: Navin Rangiyal 

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी