नेहरू से मोदी तक किसी ने भी नेताजी के अवशेष को लाने की कोशिश नहीं की: आशीष रे

रविवार, 24 जून 2018 (15:39 IST)
कोलकाता। स्वतंत्रता सेनानी सुभाषचन्द्र बोस के पोते आशीष रे ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली पहली सरकार से लेकर आज के नरेन्द्र मोदी सरकार तक सभी प्रशासन नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के लापता होने वाली सच्चाई में यकीन रखते आए हैं लेकिन उन्होंने जापान से नेताजी के अवशेष लाने की कोशिश नहीं की।
 
रे ने बताया कि विभिन्न सरकारों ने टोकियो के रेनकोजी मंदिर से नेताजी के अवशेष वापस लाने के लिए बोस के विस्तारित परिवार और उन राजनीतिक पार्टियों तक पहुंचने के बेहद कम प्रयास किए, जो अवशेष की वापसी का विरोध कर रहे थे।
 
दशकों से यह गहरा रहस्य बना रहा कि इस भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के महान नायकों में से शामिल बोस की मौत कैसे और कब हुई? रे को आशा है कि उनकी नई किताब 'लेड टू रेस्ट : द  कंट्रोवर्सी ओवर सुभाष चन्द्र बोसेज डेथ' इस विवाद को खत्म करेगी। बोस की मौत से संबंधित 11 विभिन्न जांचें इस किताब में संग्रहीत की गई हैं और यह निष्कर्ष निकाला गया है कि उनकी मौत 18 अगस्त 1945 को ताइपे में एक विमान दुर्घटना में हुई थी। 
 
रे ने बताया कि नेहरू सरकार से लेकर मोदी सरकार तक प्रत्येक प्रशासन नेताजी की मौत से जुड़ी सच्चाई में यकीन रखते हैं लेकिन  अभी तक उनके अवशेष को भारत लाने में वे विफल रहे हैं। लेखक ने कहा कि भारत सरकार  टोकियो के रेनकोजी मंदिर में रखे गए बोस के अवशेष को संरक्षित रखने के लिए भुगतान करती  है। बोस के विस्तारित परिवार और कुछ राजनीतिक पार्टियों ने अवशेष को लाने का विरोध किया लेकिन केंद्र सरकार ने विरोध करने वालों से संपर्क करने का सही तरह से प्रयास नहीं किया। 
 
उन्होंने कहा कि 1995 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव और उनके विदेश मंत्री प्रणब मुखर्जी ने अवशेष लाने की एक कोशिश की लेकिन वे काम पूरा नहीं कर पाए। लेखक ने दूसरी सरकारों को लापरवाही के लिए दोषी बताया। उन्होंने कहा कि बोस के अवशेष नहीं लाकर देश ने उनके साथ बड़ा अन्याय किया है। 
 
लेखक ने अपनी किताब में 11 आधिकारिक और गैरआधिकारिक जांच का जिक्र किया है। इनमें से 4 जांच भारत ने, 3 ब्रिटेन ने, 3 जापान और 1 ताइवान ने कराई हैं। ज्यादातर जांचें सार्वजनिक नहीं की गईं। उन्होंने कहा कि इनमें से हर एक जांच इस बात पर जोर देती है कि बोस की मौत 18 अगस्त 1945 को ताइपे में विमान दुर्घटना में हुई थी। इस किताब की प्रस्तावना बोस की बेटी अनिता फाफ ने लिखी है। फाफ जापान के मंदिर में पड़े हुए बोस के अवशेष की डीएनए जांच की मांग करती आई हैं। (भाषा)

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