भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सेमिनार को संबोधित करते हुए अय्यर ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में दस्तक देने के लिए एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) क्षेत्र को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की सेहत और लोगों के लिए यह क्षेत्र काफी अहम है।
अय्यर ने कहा कि मोटा अनाज वर्ष एक महीने से भी कम समय में शुरू होने जा रहा है। ऐसे में मोटे अनाज पर काफी जोर होगा, जिसमें अच्छे स्वास्थ्य के अलावा कई सकारात्मक पहलू भी हैं। उन्होंने कहा, न केवल आर्थिक नजरिए, बल्कि रोजगार के लिहाज से भी खाद्य प्रसंस्करण महत्वपूर्ण क्षेत्र है। इसमें सर्वाधिक रोजगार सृजित करने वाले एमएसएमई क्षेत्र को भी लाने की जरूरत है।
अय्यर ने कहा, भारत से खाद्य प्रसंस्कृत उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने खाद्य पदार्थों की बर्बादी पर चिंता जताई और कहा कि प्रसंस्करण के जरिए इसमें कमी लाए जाने की आवश्यकता है। अय्यर ने कहा, एक तरफ, हम खाद्यान्न उत्पादन करते हैं और दूसरी तरफ काफी खाद्य पदार्थ बर्बाद होते हैं। वहीं दुनिया में लाखों लोग ऐसे हैं, जो कुपोषण का शिकार हैं।
उन्होंने खाद्य प्रसंस्करण कंपनियों से कहा, हमारे समक्ष कुछ गंभीर चुनौतियां हैं और निश्चित रूप से आप उसका समाधान करेंगे। नीति आयोग के सीईओ ने उद्योग से क्षेत्र को गति देने के लिए उसके समक्ष बाधाओं और उससे निपटने के उपायों पर सुझाव भी मांगे। उन्होंने बेहतर फसल गतिविधियों के लिए किसानों को प्रोत्साहन देने की भी बात कही।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)