EV subsidy rolled back : केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने सोमवार को नई दिल्ली में कहा कि लीथियम आयन बैटरी (lithium ion batteries) की कीमतों में गिरावट से इलेक्ट्रिक वाहन अब बिना सब्सिडी (EV subsidy) के भी अपनी लागत बरकरार रख सकते हैं। हालांकि, यह वित्त तथा भारी उद्योग मंत्रालयों को तय करना है कि इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए या नहीं?
ऑटोमोटिव कंपोनेंट्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एसीएमए) के वार्षिक सत्र में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री गडकरी ने कहा कि 2 वर्ष के भीतर इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत पेट्रोल तथा डीजल वाहनों के बराबर हो जाएगी। भारत में इलेक्ट्रिक परिवहन अपनाने की दर अपेक्षा के अनुरूप न होने के कारण इसे बढ़ावा देने के लिए अधिक प्रोत्साहन की आवश्यकता पर किए सवाल पर गडकरी ने कहा कि सबसे पहले मैं किसी सब्सिडी के खिलाफ नहीं हूं। मुझे कोई समस्या नहीं है।
लीथियम आयन बैटरी की कीमत अब 1 करोड़ प्रति किलोवॉट घंटा : अपने विचार स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि एक समय लीथियम आयन बैटरी की कीमत 15 करोड़ अमेरिकी डॉलर प्रति किलोवॉट घंटा थी। अब इसकी कीमत कुछ 10.8 से 11 करोड़ प्रति किलोवॉट घंटा है। उन्होंने कहा कि मुझे विश्वास है कि यह 10 करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगी। इसके अलावा उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों के विनिर्माण में मात्रा की दृष्टि से वृद्धि देखी गई है। गडकरी ने कहा कि मेरा आकलन है कि सब्सिडी के बिना आप (ईवी की) उस लागत को बनाए रख सकते हैं, क्योंकि उत्पादन लागत कम है।
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि 2 साल के भीतर पेट्रोल वाहन तथा डीजल वाहन की लागत इलेक्ट्रिक के बराबर हो जाएगी, क्योंकि पहले से ही इलेक्ट्रिक वाहनों पर बचत हो रही है। इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहन देने के मुद्दे पर गडकरी ने कहा कि यदि वित्तमंत्री और भारी उद्योग मंत्री सब्सिडी देना चाहते हैं तो यह मोटर वाहन उद्योग के लिए फायदेमंद होगा।
उन्होंने कहा कि मुझे कोई समस्या नहीं है। मैं इसका विरोध नहीं करूंगा। मंत्री ने यह विश्वास भी व्यक्त किया कि भारत विश्व में नंबर एक मोटर वाहन विनिर्माण केंद्र बन सकता है और कहा कि इस उद्योग का भविष्य बेहद उज्ज्वल है। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि हमें भारत को दुनिया में नंबर एक मोटर वाहन विनिर्माण केंद्र बनाना चाहिए। गडकरी ने कहा कि प्रौद्योगिकी में उन्नति, किफायती प्रतिभाशाली कार्यबल की उपलब्धता तथा भारतीय मोटर वाहन उद्योग की वैश्विक स्तर पर अच्छी प्रतिष्ठा जैसे कारक इसके पक्ष में काम करते हैं।
पुराने वाहनों को हटाने में तेजी लाने के लिए सरकारी प्रोत्साहन की आवश्यकता के सवाल पर गडकरी ने कहा कि इसकी जरूरत नहीं होगी, क्योंकि बाजार का रुख मोटर वाहन कंपनियों को उपभोक्ताओं को लुभाने के लिए स्वयं कदम उठाने को मजबूर करेगा।(भाषा)