संस्थान के नए अध्यक्ष नवीन एनडी गुप्ता ने मंगलवार को चर्चा में कहा कि नोटबंदी के दौरान आईसीएआई की आचार संहिता के उल्लंघन के पांच मामले आए थे, जिनमें से चार का निपटान किया जा चुका है और अभी एक मामला लंबित है। इन मामलों में संबंधित चार्टर्ड अकाउंटेटों पर एक-एक लाख रुपए का जुर्माना किया गया था और तीन-तीन महीने के लिए उनकी सदस्यता निलंबित की गई थी।
गुप्ता ने कहा कि सरकार को नीतियां बनाने में उनका संस्थान सलाह-मशविरा देते रहता है। वर्ष 2018-19 के आम बजट में मानक कटौती शुरू करने का सुझाव भी उनके संस्थान ने ही दिया था। उन्होंने कहा कि हर वर्ष वित्त मंत्रालय को बजट से पहले सुझाव दिया जाता है। बजट के बाद भी आईसीएआई अपने सदस्यों और आम लोगों के साथ विचार-विमर्श के निष्कर्ष पर टिप्पणियां देता आ रहा है।
संस्थान के सदस्यों की विश्वसनीयता पर लग रहे प्रश्न चिह्न पर उन्होंने कहा कि जो लोग गलत करते हैं और उनकी शिकायत मिलती है तो उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जाती है। अभी संस्थान में इस तरह के मामलों के निपटान में तेजी आई है। अब मामलों की लंबित होने की अवधि घटकर दो वर्ष पर आ गई है जबकि पहले यह चार से पांच वर्ष पर पहुंच गई थी।