मद्रास उच्च न्यायालय की पीठ ने चेक बाउंस के विषय में एक महत्वपूर्ण फैसला दिया है कि चेक बाउंस मामले में नोटिस भेजने की जरूरत नहीं। अदालत ने कहा कि अगर कर्जदार किसी दायित्व से शुरू से ही इंकार करे तो मामला शुरू करने के लिए नोटिस भेजे जाने के बाद चेक बाउंस मामले में शिकायतकर्ता के लिए सांविधिक अवधि 15 दिन इंतजार करने की जरूरत नहीं है।
अदालत ने कहा कि नेगोशिएबल इंस्ट्रूमैंट्स कानून कर्जदार को अपने खाते में बिना रकम के चेक जारी करने पर अपना दायित्व निभाने तथा गलती सुधारने के लिए ‘‘मोहलत’’ देता है। लेकिन, अगर कर्जदार दायित्व से इंकार कर दावा करता है कि उसने कोई कर्ज नहीं लिया है तो भुगतानकर्ता तुरंत शिकायत दर्ज करा सकता है।