एक हज़ार और पांच सौ के पुराने नोट अब नहीं चलेंगे। इस खबर के बाद नोट बदलने की घबराहट देखी जा सकती है। जिन लोगों के पास खरी कमाई का पैसा है, वे भी कालेधन को बाहर निकालने की इस मुहिम में परेशान हो रहे हैं। अप्रवासी भारतीयों के अपने ही कुछ सवाल हैं और वे जानना चाहते हैं कि उनके पास जो नकद भारतीय मुद्रा है उसका क्या होगा?
यूएई में रह रहे भारतीयों के सामने यह बड़ा सवाल है कि उनके पास जमा रुपए का आखिर क्या किया जाए, क्योंकि फिलहाल कोई भी वित्तीय संस्था रुपए को डॉलर या अन्य किसी अन्य विदेशी मुद्रा में बदलने को तैयार नहीं है। एनआईआर को भारत आकर यह पैसा बैंकों में जमा करवाना होगा। एकमात्र यही उपाय शेष है।
एक एनआईआर का मामला तो अजीब है। केशव नामक एक व्यक्ति 12 साल के बाद विदेश से भारत लौटा और उसने 8 लाख रुपए विदेशी मुद्रा के बदले पिछले माह ही लिए। केशव को एक साल भारत में ही रहना है और यह पैसा उसके लिए जरूरी है। सवाल यह है कि वह बैंक में आठ लाख रुपया कैसे जमा करे क्योंकि उसके पास भारतीय बैंक अकाउंट भी नहीं है। बिना विवरण के वह 8 लाख रुपया कैसे जमा करवाए?
कुछ एनआईआर के पास पुराने बैंक अकाउंट हैं, जिन में कुछ बड़ी राशि भी जमा नहीं है। ये ऐसे अकाउंट हैं, जिनका उल्लेख आयकर भरने में नहीं किया गया है। ऐसे में क्या इन अकाउंट में पैसा जमा किया जा सकता है? ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब एनआरआई तलाश कर रहे हैं