Objectionable cartoon on Modi and RSS: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) और आरएसएस (RSS) कार्यकर्ताओं के कथित आपत्तिजनक कार्टून (Objectionable cartoon) सोशल मीडिया पर साझा करने के आरोपी एक कार्टूनिस्ट को मंगलवार को दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण प्रदान किया। शीर्ष अदालत ने सोशल मीडिया पर बढ़ती आपत्तिजनक पोस्ट पर भी चिंता व्यक्त की और इस पर अंकुश लगाने के लिए न्यायिक आदेश पारित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
पीठ ने दी कार्टूनिस्ट को चेतावनी : हालांकि पीठ ने आगाह किया कि अगर कार्टूनिस्ट सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट डालते रहे तो राज्य सरकार कानून के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है। राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के.एम. नटराज ने 'एक्स' पर न्यायपालिका के खिलाफ भी मालवीय के कुछ अन्य पोस्ट का जिक्र किया जिसके बाद पीठ ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता सोशल मीडिया पर कोई आपत्तिजनक पोस्ट डालते हैं तो प्रतिवादी राज्य (मध्यप्रदेश) को कानून के अनुसार आगे बढ़ने की स्वतंत्रता होगी।
इस बीच पीठ ने कार्टूनिस्ट की सोशल मीडिया पोस्ट हटाने की याचिका स्वीकार नहीं की और सुनवाई अगस्त में तय कर दी। कार्टूनिस्ट मालवीय ने 3 जुलाई को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें अग्रिम जमानत देने से इंकार करने के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी। वकील और आरएसएस कार्यकर्ता विनय जोशी द्वारा दायर एक शिकायत पर मई में इंदौर के लसूड़िया थाने में मालवीय के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग : ग्रोवर ने कथित आपत्तिजनक पोस्ट को हटाने पर सहमति जताई। न्यायमूर्ति धूलिया ने तब कहा कि हम इस मामले में चाहे जो भी करें, लेकिन यह निश्चित रूप से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग है। प्राथमिकी में कई 'आपत्तिजनक' पोस्ट का जिक्र है जिनमें भगवान शिव पर कथित रूप से अनुचित टिप्पणियों के साथ-साथ कार्टून, वीडियो, तस्वीरें और मोदी, आरएसएस कार्यकर्ताओं व अन्य लोगों के बारे में टिप्पणियां शामिल हैं।
उच्च न्यायालय में मालवीय के वकील ने दलील दी थी कि उन्होंने केवल एक कार्टून पोस्ट किया था, लेकिन अन्य फेसबुक उपयोगकर्ताओं द्वारा उस पर पोस्ट की गई टिप्पणियों के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। प्राथमिकी में उन पर हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने और आरएसएस की छवि धूमिल करने के इरादे से अभद्र और आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने का आरोप लगाया गया है। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 196, 299 और 352 के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67-ए के तहत मामला दर्ज किया था।(भाषा)