अधिकारियों के मुताबिक वर्तमान में, विश्व भर में ओमिक्रोन की पहचान या जांच अगली पीढ़ी की सीक्वेंसिंग (अनुक्रमण) आधारित पद्धतियों से की जाती है, जिसमें तीन दिन से अधिक समय लगता है।
उन्होंने कहा कि कृत्रिम डीएनए टुकड़ों का उपयोग कर जांच में ओमिक्रोन स्वरूप का पता लगाया जाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में, विश्व भर में ओमिक्रोन स्वरूप की पहचान अगली पीढ़ी की सीक्वेंसिंग पद्धति से की जाती है, जिसमें 3 दिन से अधिक समय लगता है। आरटी-पीसीआर आधारित जांच का उपयोग कर 90 मिनट के अंदर ओमिक्रोन स्वरूप की मौजूदगी का पता लगाना संभव हो जाएगा।
यह पद्धति जांच में आने वाली लागत को घटाकर इसे देश की बड़ी आबादी के लिए वहनीय बना देगी। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) से इस जांच पद्धति वाली किट को मंजूरी मिलने के बाद इसे बाजार में उतार दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि देश में ओमिक्रोन ओमीक्रोन स्वरूप के मामलों की कुल संख्या बढ़कर 38 हो गई है।