नई दिल्ली। संगठित क्षेत्र में श्रमशक्ति की बढ़ती भागीदारी से नियामकीय बदलाव निर्णायक हो गए हैं। यदि कुछ मुख्य सुधार किए जाएं तो संगठित रोजगार की हिस्सेदारी करीब 40 प्रतिशत तक बढ़ाई जा सकती है और रोजगार के 1 करोड़ नए अवसर सृजित किए जा सकते हैं। रोजगार संबंधी सेवाएं देने वाली कंपनी टीमलीज सर्विसेज ने यह बात कही है।
उन्होंने कहा कि 44 श्रम कानूनों को 4 श्रम संहिताओं में एकीकृत करना और विशिष्ट कंपनी संख्या (यूईएन) उन शीर्ष 10 नियामकीय सुधारों में से हैं, जो कारोबार सुगमता तथा डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं।
कंपनी ने श्रम सुविधा पोर्टल को पीपीसी (पेपरलेस, प्रजेंसलेस, कैशलेस) बनाने की भी बात कही। अन्य सुधारों में कंपनी संशोधन अधिनियम 2016, छोटा कारखाना अधिनियम, संविदा श्रमिक एवं नियमन अधिनियम 1970 में संशोधन, औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947, श्रम संगठन अधिनियम 1926 में संशोधन तथा मॉडल दुकानें एवं प्रतिष्ठान अधिनियम पर अमल शामिल हैं। (भाषा)