चिदंबरम बोले- जनता गुस्से में है, पेट्रोल-डीजल जीएसटी के दायरे में लाए सरकार

सोमवार, 11 जून 2018 (14:05 IST)
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता और वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने कहा कि पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण जनता गुस्से में है। अत: सरकार को चाहिए कि इनको जीएसटी के दायरे में लाना चाहिए। हाल ही में भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने स्पष्ट किया पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का सरकार का कोई इरादा नहीं है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने आज नरेंद्र मोदी सरकार में देश की अर्थव्यवस्था की हालत खराब होने का दावा करते हुए आरोप लगाया कि यह स्थिति सरकार की नीतिगत गलतियों और गलत फैसलों के कारण पैदा हुई है। चिदंबरम ने कृषि, जीडीपी, रोजगार सृजन, व्यापार और अर्थव्यवस्था के कुछ दूसरे मानकों के आधार पर सरकार को घेरा।

चिदंबरम ने कहा कि 'मई 2014 के बाद बहुत सारी बातें की गईं, लेकिन अर्थव्यवस्था की हालत खराब होती चली गई। चिदंबरम ने कहा कि 'किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य के मुताबिक उपज के दाम नहीं मिल रहे हैं। हर किसान जानता है कि लागत से 50 फीसदी से अधिक की बात जुमला है।' उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक के सर्वेक्षण के मुताबिक 48 फीसदी लोगों ने माना कि अर्थव्यवस्था की हालत खराब हुई है।

पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि पेट्रोल, डीजल और एलपीजी की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से आज देश में गुस्सा है। उन्होंने कहा कि अच्छे दिन के वादे के तहत हर साल दो करोड़ नौकरियों का वादा किया गया था, लेकिन कुछ हजार नौकरियां ही पैदा की गई।

श्रम ब्यूरो के सर्वेक्षण (अक्टूबर-दिसंबर, 2017) का डेटा जारी क्यों नहीं किया है? चिदंबरम ने कहा कि विश्व स्तर पर अर्थव्यवस्था का असर कुछ हद तक देश की अर्थव्यवस्था पर होता है, लेकिन इन दिनों अमेरिका की अर्थव्यवस्था अच्छा कर रही है। यूरोप में स्थिति ठीक है।

भारत में हमारी नीतिगत गलतियों और कुछ गलत कदमों की वजह से अर्थव्यवस्था की हालत खराब हुई है। उन्होंने कहा कि 2015-16 में विकास दर 8.2 फीसदी थी जो 2017-18 में घटकर 6.7 फीसदी हो गई। चिदंबरम ने कहा कि जीएसटी को गलत ढंग से लागू करने की वजह से भी कारोबार प्रभावित हो रहे हैं। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले चार वर्षों में एनपीए 2,63,000 करोड़ रुपए से बढ़कर 10,30,000 करोड़ रुपए हो गया तथा आगे और बढ़ेगा। (भाषा) 

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