parliament session pm modi speech rahul gandhi shown copy of constitution : लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा के कई नेताओं ने यह कहकर भाजपा को बैकफुट पर ला दिया उन्हें संविधान बदलने के लिए 400 सीटें चाहिए। संविधान बदलने संबंधी बयान के चलते अयोध्या (फैजाबाद) जैसी सीट भाजपा के हाथ से निकल गई। कुल मिलाकर भाजपा को यह दांव उलट पड़ गया, वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul gandhi) को संविधान के रूप में सत्ता पक्ष के खिलाफ नया हथियार मिल गया।
लोकसभा चुनाव का संविधान इफेक्ट संसद में भी दिखाई दिया। जिस समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) शपथ ले रहे, राहुल गांधी संविधान लेकर खड़े हो गए। संसद परिसद में राहुल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर संविधान पर हमला करने का आरोप लगाया और दावा किया कि वे मनोवैज्ञानिक रूप से बैकफुट पर हैं तथा अपनी सरकार बचाने में व्यस्त हैं।
लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने संविधान को एक बड़ा मुद्दा बनाया था। उनका आरोप था कि भाजपा संविधान बदलना चाहती है। इतना ही नहीं, लोकसभा सदस्यता की शपथ लेते समय कांग्रेस के कुछ सांसदों ने अपने हाथ में संविधान की प्रति ले रखी थी। लोकसभा चुनाव में इसका असर भी देखने को मिला, जब यूपी जैसे राज्य में भाजपा पिछली बार की तुलना में 29 सीटें हार गई।
भाजपा नेताओं ने उत्साह में संविधान बदलने संबंधी बयान तो दे दिए, लेकिन बाद में जब चीजें हाथ से निकलती दिखाई दीं तो मोदी से लेकर अमित शाह ने कई बार स्पष्टीकरण देने की कोशिश की, लेकिन उनकी बाद लोगों के गले नहीं उतरी। दूसरी ओर, राहुल गांधी समेत विपक्ष के नेता यह समझाने में सफल रहे कि भाजपा को ज्यादा सीटें मिलीं तो वह संविधान को बदल देगी, देश में लोकतंत्र खत्म हो जाएगा। देश की जनता के गले यह बात उतर गई और मृतप्राय: कांग्रेस 100 के आंकड़े को पार गई और भाजपा बहुत स्पष्ट बहुमत से दूर रह गई।
सबसे अहम बात यह है कि राहुल गांधी चुनाव प्रचार से लेकर संसद तक जिस तरह से आक्रामक नजर आ रहे हैं, वे सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी करती रहेंगे। राहुल गांधी ने कहा कि संविधान पर हमला स्वीकार नहीं किया जाएगा। मोदी और अमित शाह संविधान पर हमला कर रहे हैं। हम संविधान पर यह हमला नहीं होने देंगे। राहुल ने ट्रेन दुर्घटना, कश्मीर में आतंकवादी हमले, ट्रेनों में यात्रियों की दुर्दशा, नीट घोटाला, नीट-पीजी निरस्त, यूजीसी-नेट का पेपर लीक, दूध, दाल, गैस, टोल और महंगे, आग से धधकते जंगल, जल संकट और लू जैसे मुद्दों पर सरकार को घेरा। वे यह कहने में भी नहीं चूके कि मनोवैज्ञानिक रूप से बैकफुट पर नरेन्द्र मोदी बस अपनी सरकार बचाने में व्यस्त हैं।