उन्होंने कहा, पिछले आठ साल से देशभर के 78 लाख पेंशधारक न्यूनतम पेंशन बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने अब तक उनकी मांगों पर सुनवाई नहीं की है। वर्तमान में पेंशनधारकों को औसतन केवल 1450 रुपए मासिक पेंशन ही मिल रही है।
पेंशनधारक महंगाई भत्ते के साथ मूल पेंशन 7500 रुपए मासिक करने और पेंशनभोगियों के जीवनसाथी (पति या पत्नी) को मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं देने समेत अन्य मांगें कर रहे हैं। राऊत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से दो बार और वित्तमंत्री तथा श्रममंत्री से भी बातचीत के बावजूद अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। इसके चलते पेंशनधारकों में निराशा बढ़ी है।
उन्होंने कहा, अब हम उन राजनीतिक दलों को समर्थन देंगे, जो हमारी समस्याओं को सुलझाने के लिए आगे आएंगे। हमारा संघर्ष जारी रहेगा...। संघर्ष समिति के राष्ट्रीय सचिव रमेश बहुगुणा ने कहा, समिति की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 29 और 30 जुलाई को दिल्ली में हो रही है। इसमें पेंशनधारकों की मांगों पर चर्चा की जाएगी। यदि मांगें पूरी नहीं हुईं तो 31 जुलाई और एक अगस्त को जंतर-मंतर पर धरना दिया जाएगा, जिसमें देशभर से पेंशनधारक शामिल होंगे।
उल्लेखनीय है कि ईपीएस (कर्मचारी पेंशन योजना), 95 के तहत आने वाले कर्मचारियों के मूल वेतन का 12 प्रतिशत हिस्सा भविष्य निधि में जाता है। वहीं नियोक्ता के 12 प्रतिशत हिस्से में से 8.33 प्रतिशत कर्मचारी पेंशन योजना में जाता है। इसके अलावा पेंशन कोष में सरकार भी अपनी तरफ से 1.16 प्रतिशत का योगदान करती है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour