उन्होंने कहा कि संविधान के निर्माण के दौरान 2 वर्ष 11 महीने 17 दिन तक विभिन्न विद्वानों ने विचार विमर्श किया। उस समय वाद विवाद भी होते थे, राजी-नाराजी भी होते थे लेकिन रास्ते खोजे जाते थे। कभी किसी विषय पर आर पार नहीं जा पाए तब भी रास्ते खोजे जाते थे। ठीक उसी प्रकार की प्रक्रिया जीएसटी की चली। केंद्र और राज्यों ने कई साल तक चर्चा की। वर्तमान और पूर्व सांसदों ने चर्चा की। देश के सर्वश्रेष्ठ मस्तिष्कों ने चर्चा की।