कोठरी में पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री वहां जमीन पर बैठ गए और सावरकर के चित्र के समक्ष कुछ देर तक आंखें बंद कर हाथ जोड़कर बैठे रहे। इसके बाद वह जेल के केंद्रीय टावर की ओर गए और संगमरमर की पट्टिका, जिस पर वहां रखे गए कैदियों के नाम अंकित हैं, के समक्ष कुछ देर तक ठहरे।