How to avoid online fraud: जरा सोचिए, सुबह आप अपने फोन पर बैंक बैलेंस चेक करते हैं और देखते हैं कि आपका अकाउंट खाली है! या उससे भी बुरा, आपके क्रेडिट कार्ड से हजारों की शॉपिंग हो चुकी है, जिसके बारे में आपको कोई जानकारी नहीं। आपकी रातों की नींद हराम हो जाती है, दिल की धड़कन बढ़ जाती है और दिमाग सुन्न पड़ जाता है।
जी हां, हम बात कर रहे हैं ऑनलाइन धोखाधड़ी (Online Fraud) की। और शायद आपको जानकर हैरानी होगी कि अक्सर हम खुद अनजाने में एक ऐसी गलती कर बैठते हैं, जो जालसाजों को आपके बैंक अकाउंट तक पहुंचने का सीधा रास्ता दे देती है।
वो 'एक गलती' जिससे खाली हो सकती है आपकी बैंक अकाउंट?
वह एक गलती है – अपनी गोपनीय जानकारी (जैसे OTP, PIN, CVV, पासवर्ड) किसी के साथ भी साझा करना, चाहे वह कोई भी हो! यह सुनकर शायद आप कहेंगे, भला कौन अपनी गोपनीय जानकारी साझा करेगा? लेकिन आजकल जालसाज इतने शातिर हो गए हैं कि वे आपको फंसाने के लिए नए-नए तरीके अपनाते हैं और कई बार हम उनकी मीठी बातों या धमकियों में आकर अपनी सबसे महत्वपूर्ण जानकारी उन्हें सौंप देते हैं।
एक्सपर्ट क्या कहते हैं?
जाने-माने साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ और वर्तमान में डीजीपी, आईपीएस वरुण कपूर बताते हैं, 'आजकल सबसे आम धोखाधड़ी के तरीके हैं फिशिंग (Phishing) और विशिंग (Vishing)। इसमें अपराधी बैंक अधिकारी, सरकारी कर्मचारी, लॉटरी जीतने का झांसा देने वाले या यहां तक कि आपके रिश्तेदार बनकर आपसे जानकारी निकालने की कोशिश करते हैं।
कपूर आगे कहते हैं कि लोग अक्सर डर या लालच में आकर अपनी OTP, ATM PIN या ऑनलाइन बैंकिंग पासवर्ड बता देते हैं। उन्हें लगता है कि 'बैंक से फोन आया है' या 'लॉटरी जीती है तो बताना पड़ेगा'। यहीं सबसे बड़ी गलती होती है। याद रखें, कोई भी बैंक, RBI, सरकारी विभाग या विश्वसनीय संस्था आपसे कभी भी फोन, SMS या ईमेल पर आपकी गोपनीय जानकारी नहीं मांगता है।
जालसाज कैसे फंसाते हैं आपको? ये हैं सबसे आम तरीके:
बैंक अधिकारी बनकर कॉल : आपका KYC अपडेट करना है, आपका अकाउंट ब्लॉक हो जाएगा... या आपके अकाउंट में कुछ संदिग्ध गतिविधि हुई है, OTP बताएं।
सरकारी योजना/सब्सिडी का लालच : आपको प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाभ मिलेगा, बस यह OTP बताएं।
लॉटरी/पुरस्कार का झांसा : आपको लाखों की लॉटरी लगी है, बस प्रोसेस करने के लिए यह पिन नंबर या CVV दें।
तकनीकी सहायता के नाम पर : आपके सिस्टम में वायरस है, हम आपको ठीक करने में मदद करेंगे, बस यह रिमोट एक्सेस ऐप इंस्टॉल करें।
फिशिंग लिंक : बैंक या किसी प्रतिष्ठित कंपनी जैसा दिखने वाला फर्जी SMS या ईमेल, जिसमें एक लिंक होता है। जैसे ही आप उस पर क्लिक करते हैं और अपनी जानकारी डालते हैं, वह सीधे जालसाजों तक पहुंच जाती है।
नौकरी या लोन का झांसा : कम ब्याज पर लोन या आकर्षक नौकरी का लालच देकर प्रोसेसिंग फीस के नाम पर पैसे ठगना।
कैसे बचें इस 'एक गलती' और सुरक्षित रखें अपना अकाउंट?
आईपीएस वरुण कपूर कुछ महत्वपूर्ण सलाह देते हैं :
किसी को नहीं बताएं ओटीपी : OTP यानी 'वन टाइम पासवर्ड' है, इसे वन टाइम ही रखें! यह सिर्फ आपके लिए होता है। किसी भी परिस्थिति में, चाहे कोई खुद को बैंक मैनेजर भी बताए, अपना OTP, PIN, पासवर्ड, या CVV किसी को न बताएं।
अज्ञात लिंक पर क्लिक न करें : संदिग्ध SMS या ईमेल में आए किसी भी लिंक पर क्लिक न करें। अगर आपको लगता है कि वह सच हो सकता है, तो सीधे बैंक की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर जानकारी चेक करें, न कि भेजे गए लिंक से।
मजबूत पासवर्ड : अपने ऑनलाइन बैंकिंग, ईमेल और अन्य खातों के लिए मजबूत और अनोखे पासवर्ड का उपयोग करें। इसमें अक्षर, संख्याएं और विशेष वर्ण शामिल हों।
टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (2FA) ऑन रखें : जहां भी संभव हो, अपने बैंक अकाउंट और अन्य महत्वपूर्ण खातों के लिए टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (जैसे OTP और पासवर्ड दोनों का उपयोग) सक्षम करें।
अपने बैंक से संपर्क करें : यदि आपको कोई संदिग्ध कॉल, SMS या ईमेल आता है, तो सीधे अपने बैंक की आधिकारिक हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करें (जो आपकी पासबुक या बैंक की वेबसाइट पर उपलब्ध हो)। गूगल से मिले नंबरों पर भरोसा न करें, वे भी फर्जी हो सकते हैं। गूगल से नंबर लेकर कई लोगों के ठगे जाने की की जानकारियां सामने आई हैं।
सार्वजनिक वाई-फाई पर सावधानी : सार्वजनिक वाई-फाई नेटवर्क पर ऑनलाइन बैंकिंग या खरीदारी करने से बचें, क्योंकि वे असुरक्षित हो सकते हैं।
अपने अकाउंट पर नज़र रखें : अपने बैंक स्टेटमेंट और लेनदेन की नियमित रूप से जांच करें। कोई भी संदिग्ध गतिविधि दिखने पर तुरंत अपने बैंक को सूचित करें।
याद रखें : आपकी वित्तीय सुरक्षा आपकी अपनी जिम्मेदारी है। थोड़ी सी सावधानी और जानकारी आपको इस ऑनलाइन धोखेबाजों से बचा सकती है। अपनी गाढ़ी कमाई को यूं ही खाली होने से बचाने के लिए, आज से ही अपनी गोपनीय जानकारी को 'गोपनीय' रखना शुरू कर दें!
Edited by: Vrijendra Singh Jhala