उन्होंने यह भी कहा कि प्रवासी भारतीय जहां रहे, उन्होंने उस धरती को अपनी कर्मभूमि माना और जहां से आए, उसे मर्मभूमि माना। आज आप उस कर्मभूमि की सफलताओं की गठरी बांधकर अपनी मर्मभूमि में पधारे हैं, जहां से आपको, आपके पूर्वजों को प्रेरणा मिलती रही है। प्रवासी भारतीय जहां रहे, वहां का उन्होंने विकास किया और जहां के हैं वहां अपना अप्रतिम योगदान किया।