उन्होंने कहा, 'यह मेरे जीवन का एक अनिश्चितता भरा दौर था लेकिन (इसने) मुझे कई जवाब दिए। मैं दुनिया को समझना चाहता था, खुद को जानना चाहता था। मैंने काफी यात्रा की, रामकृष्ण आश्रम में वक्त बिताया, साधु-संतों से मिला, उनके साथ रहा और अपने अंदर एक खोज शुरू की। मैं एक जगह से दूसरी जगह गया-- मेरे सिर पर कोई छत नहीं थी, लेकिन कभी घर की कमी ज्यादा महसूस नहीं की।