पीएम-2.5 हवा में मौजूद सूक्ष्म कण है, जिनका आकार 2.5 माइक्रोमीटर होता है। अध्ययन के मुताबिक वैश्विक आधार पर पर्यावरण खतरों में पीएम-2.5 के संपर्क को खतरनाक माना जाता है और वर्ष 2015 में करीब 42 लाख लोगों की असमय मृत्यु इसकी वजह से हुई। अध्ययन के मुताबिक इसी तरह की क्षति अन्य भारतीय शहरों में भी हो रही है जो चिंताजनक है।
ग्रीनपीस के अध्ययन में दावा किया गया है कि अनुमान है कि मुंबई में वर्ष 2020 में 25 हजार लोगों की मौत पीएम-2.5 से हुई जिसे टाला जा सकता था। इसी प्रकार अनुमान है कि बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद एवं लखनऊ में क्रमश: 12 हजार, 11 हजार, 11 हजार एवं 6700 लोगों की मौत टाली जा सकती थी।