सूत्रों ने कहा कि हाल में उजागर पंजाब नेशनल बैंक-नीरव मोदी धोखाधड़ी मामले समेत अधिकतर बड़े बैंकिंग धोखाधड़ी मामले व्यापार वित्तपोषण से जुड़े हैं। इसके अलावा जान-बूझकर ऋण नहीं चुकाने के भी कई मामले व्यापार वित्त पोषण से जुड़े रहे हैं। हाल में पीएनबी के साथ किए गए 12,646 करोड़ रुपए के धोखाधड़ी मामले में भी एलओयू का इस्तेमाल किया गया। इसे ध्यान में रखते हुए आरबीआई इस ऑडिट में इनसे जुड़े मामलों की भी जांच करेगा।
द्वारकादास सेठ इंटरनेशनल ने 2007-12 के बीच ओबीसी से विभिन्न प्रकार की ऋण सुविधाएं ली थीं। इसी प्रकार 2015 के बैंक ऑफ बड़ौदा धोखाधड़ी मामले में भी दिल्ली के 2 व्यवसायियों ने बैंकों को व्यापार वित्तपोषण प्रणाली का इस्तेमाल करते हुए 6,000 करोड़ रुपए का चूना लगाया था। (भाषा)