ओबीसी सियासत के पीछे की कहानी?-राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म होने के बाद कांग्रेस ने अब सड़क पर सियासी लड़ाई शुरु कर दी है। कांग्रेस राहुल गांधी की तुलना इंदिरा गांधी से कर पूरे मामले में सियासी माइलेज लेने में जुट गई है। मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि “नरेंद्र मोदी सरकार ने कांग्रेस के सम्मानित नेता राहुल गांधी के खिलाफ षड्यंत्र करने में सारी हदें पार कर दी हैं। जिस तरह से उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द की गई है, उससे स्पष्ट है कि मोदी सरकार राहुल गांधी से भयभीत है। सरकार उनके उठाए सवालों का जवाब देने के बजाय उन्हें लोकसभा से दूर करने का रास्ता तलाश रही थी। आज का दिन भारतीय लोकतंत्र के लिए अत्यंत दुख और पीड़ा का दिन है। लेकिन एक बात अच्छी तरह याद रखनी चाहिए कि ऐसे ही षड्यंत्र स्वर्गीय इंदिरा गांधी के खिलाफ भी किए गए थे, लेकिन उससे इंदिरा मजबूत ही हुई थी, कमजोर नहीं। आज भारत की जनता पहले से कहीं मजबूती के साथ राहुल गांधी के साथ खड़ी है। इंसाफ होकर रहेगा”।
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वहीं भाजपा राहुल गांधी की सजा को कांग्रेस को भुनाने का कोई मौका नहीं देना चाहती है और उसने पूरे मामले को ओबीसी की सियासत से जोड़ दिया है। भाजपा राहुल के बयान को ओबीसी वर्ग के अपमान से जोड़कर 2024 के लोकसभा चुनाव के साथ इस साल कर्नाटक, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान के एक बड़े ओबीसी वोट बैंक को साध रही है। देश की आबादी में ओबीसी की करीब आधी हिस्सेदारी है और इस बड़े वोट बैंक पर पार्टी 2024 से पहले अपनी पकड़ को मजबूत करना चाह रही है इसलिए भाजपा इस पूरे मुद्दे को ओबीसी वर्ग से जोड़ रही है।