देश से गरीबी रातोरात दूर करने का नुस्‍खा

बुधवार, 18 जनवरी 2017 (17:17 IST)
नई दिल्ली। सरकार को गरीबी दूर करने का एक नया नुस्खा मिल गया है और यह इतना असरकारी है कि इसके प्रयोग से देश से 40 फीसदी गरीबों की संख्या एक झटके में कम हो जाएगी। विशेषज्ञों की एक समिति ने सरकार को सुझाव दिया है कि गरीबों की गणना करने के लिए बीपीएल की कसौटी को खत्म कर सामाजिक-आर्थिक-जातीय जनगणना को आधार बनाया जाए।
 
विशेषज्ञों की एक समिति ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि देश में गरीबों की गणना करने के लिए बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) वाली कसौटी खत्म कर दी जाए। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की एक रिपोर्ट के मुताबिक उसका कहना है कि इसकी जगह सामाजिक-आर्थिक-जातीय जनगणना (सोशल इकॉनॉमिक कास्ट सेन्सस-एसईसीसी)-2011 को आधार बनाया जाए। 
 
एसईसीसी के तहत कई मापदंडों पर गरीबी का आकलन किया जाता है। सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सरकार ने यह सुझाव मान लिया तो देश से करीब 40 फीसदी (7.17 करोड़) गरीब तो एक झटके में कम हो जाएंगे। 
 
खबर के मुताबिक योजना आयोग ने बीपीएल के तहत गरीबों के निर्धारण का जो तरीका तय किया था, उसके हिसाब से देश में इस वक्त करीब 17.94 करोड़ लोग गरीब हैं लेकिन पूर्व वित्त सचिव सुमीत बोस की अध्यक्षता में बनी विशेषज्ञों की समिति का मानना है कि यह तरीका (बीपीएल वाला) पुराना हो चुका है। इसमें किसी परिवार की आय या खर्च के आधार पर यह तय किया जाता है कि वह गरीब है या नहीं? इससे गरीबों की संख्या बढ़ जाती है और जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों तक उतना नहीं पहुंचता, जितना पहुंचना चाहिए। 
 
दूसरी तरफ एसईसीसी के तहत गरीबी का आकलन करने के लिए कई मापदंड हैं। इनकी वजह से गरीबों की संख्या भले ही एक बार में कुछ कम हो जाए, लेकिन सरकारी योजनाओं की मदद का दायरा बढ़ जाएगा, हालांकि इसके लिए सरकार को 6,700 करोड़ रुपए का अतिरिक्त इंतजाम करना पड़ सकता है। 
 
समिति के मुताबिक बचे हुए लगभग 10.76 करोड़ (60 फीसदी) गरीब परिवारों में से करीब 5.21 करोड़ (48.5 फीसदी) परिवार ऐसे हैं, जो किसी न किसी श्रेणी के तहत लाभार्थी होंगे, जैसे कि भूमिहीन, बेघर, महिला मुखिया वाले या अनुसूचित जाति-जनजाति आदि से ताल्लुक रखने के कारण गरीबों में गिने जाएंगे। इनके अलावा 1 फीसदी (करीब 10.73 लाख) गरीब परिवार वे बचेंगे, जो भीख मांगकर गुजारा करते हैं, मैला ढोते हैं या फिर घूमंतू या आदिम जनजातियों से हैं। 
 
समिति के मुताबिक नए पैमाने को इस्तेमाल में लाने से इन सबके लिए सरकारी योजनाओं के लाभ का दायरा बढ़ेगा। समिति ने और भी कई सिफारिशें की हैं, मसलन विधवा पेंशन के लाभार्थियों की उम्र 40 से घटाकर 18 की जा सकती है। केंद्रीय कोष से 500 रुपए मासिक पेंशन पाने वाले लाभार्थियों की उम्र सीमा भी 80 से घटाकर 70 की जा सकती है। 
 
विधवाओं के पुनर्विवाह के लिए एकमुश्त मदद दी जा सकती है। शारीरिक रूप से अक्षम बच्चों के गरीब माता-पिता को भी आर्थिक मदद दी जा सकती है। समिति के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 2.95 करोड़ परिवारों को घर की जरूरत है जिनके लिए घरों को बनाने की योजना बनाई जा सकती है।

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