सीएसई द्वारा आयोजित एक समारोह में उन्होंने कहा कि मैं स्कूल बस्तों का बोझ कम करने जा रहा हूं। भारी बस्ता ढोना जरूरी नहीं है और यह निश्चित रूप से होगा। हम सीबीएसई स्कूलों के लिए नियमों की तैयारी कर रहे हैं ताकि अनावश्यक रूप से किताब और कॉपी नहीं ले जाना पड़े। इस समारोह में कई स्कूलों के बच्चे भी उपस्थित थे।
अपने परिवार की एक घटना का उल्लेख करते हुए जावडेकर ने कहा कि एक बार उन्होंने देखा कि उनकी पोती अपनी मां की मदद से घर में गृहकार्य कर रही है। जब उससे पूछा कि क्या हो रहा है तो उसने बताया कि वयस्कों की मदद के बिना शिक्षक सौंपे गए कार्य पर 'स्टार' नहीं देते हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि वास्तविक शिक्षा वहां मिलती है, जहां पर बच्चे गलती करते हैं और सीखते हैं। वरिष्ठ मदद कर सकते हैं। माता-पिता को भी शिक्षित होने की जरूरत है। (भाषा)