हालांकि महिलाओं के लिए यह आरक्षण 2029 के चुनाव से ही लागू हो पाएगा। साथ ही इसके लिए 50 फीसदी राज्यों की मंजूरी भी जरूरी होगी। मोदी सरकार ने महिला आरक्षण बिल को नारी शक्ति वंदन अधिनियम नाम दिया है। लोकसभा में इस बिल के समर्थन में 453 वोट पड़े थे, जबकि सिर्फ 2 सांसदों ने इसका विरोध किया था। ये दो सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के थे।
सिर्फ 2 सांसदों ने किया था विरोध : 1996 में तत्कालीन प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के कार्यकाल में पहली बार महिला आरक्षण बिल को लाया गया था, लेकिन उस समय देवेगौड़ा की अल्पमत सरकार इस बिल को पास नहीं करवा पाई। एक बार यह बिल अटलजी के कार्यकाल में भी पेश किया गया था, लेकिन उस समय भी यह पास नहीं हुआ।
तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भी यह बिल 2008 में राज्यसभा में पेश किया गया था। 2010 में यह राज्यसभा में तो पास हो गया, लेकिन लोकसभा में यह पारित नहीं हो पाया था। (वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala