राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राफेल में भरी उड़ान, भारत के लिए क्यों खास है यह फाइटर प्लेन?

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

बुधवार, 29 अक्टूबर 2025 (11:34 IST)
President Murmu in Rafael : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को लड़ाकू विमान राफेल में ऐतिहासिक उड़ान भरी। सेना की वर्दी में अंबाला वायुसेना स्टेशन पहुंचीं राष्‍ट्रपति को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। राष्ट्रपति की इस उड़ान ने पूरे देश को गौरव से भर दिया है।

इससे पहले 2023 में वे असम के तेजपुर वायुसेना स्टेशन से सुखोई फाइटर प्लेन में भी उड़ान भर चुकी हैं। उड़ान के बाद उन्होंने कहा था कि वायुसेना के पायलटों की दक्षता और अनुशासन की जितनी सराहना की जाए उतना ही कम है।
 
6 और 7 मई 2025 की मध्य रात्रि भारत ने ऑपरेशन सिन्दूर को अंजाम देते हुए पहलगाम आतंकी हमले का करारा जवाब दिया। इस ऑपरेशन में राफेल विमान ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन्हीं विमानों की मदद से स्कैल्प मिसाइल दागी गईं। इससे पाकिस्तान में हाहाकार मच गया।
 
क्या है राफेल विमान में खास : राफेल सिर्फ एक मिसाइल वाहक नहीं है, बल्कि यह चौथी पीढ़ी का एक बहु-भूमिका वाला लड़ाकू विमान है। इसका मतलब है कि यह एक साथ कई तरह के मिशनों को अंजाम देने में सक्षम है। ग्राउंड सपोर्ट, दुश्मन के इलाके में गहराई तक हमला, और एंटी-शिप अटैक इसकी कुछ प्रमुख क्षमताएं हैं। यह जेट एक बार में 3700 किमी तक का सफर तय कर सकता है।
 
दमदार भार वहन क्षमता और लंबी उड़ान दूरी: राफेल एयरक्राफ्ट 9500 किलोग्राम तक का भार उठाने में सक्षम है और अधिकतम 24500 किलोग्राम वजन के साथ उड़ान भर सकता है। इसका मतलब है कि यह एक साथ कई तरह के हथियार, मिसाइलें और ईंधन लेकर लंबी दूरी तक मिशन को अंजाम दे सकता है। इसकी एक बार में 3700 किमी तक की उड़ान दूरी इसे ऑपरेशन के थिएटर में लचीलापन प्रदान करती है।
 
उच्च गति और फुर्तीलापन: राफेल की अधिकतम रफ्तार 1389 किमी/घंटा है। यह इसे दुश्मन के विमानों को चकमा देने और तेजी से अपने लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करता है। एक लड़ाकू विमान के लिए गति और फुर्तीलापन बेहद महत्वपूर्ण होते हैं, खासकर हवाई युद्ध और दुश्मन के इलाके में घुसपैठ के दौरान। राफेल इन दोनों ही मामलों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करता है।
edited by : Nrapendra Gupta 

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