नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने राष्ट्र के नाम संदेश में कुछ महत्वपूर्ण विधेयकों के पारित नहीं होने से चिंता जाहिर की। उन्होंने को कहा कि विकास को गति देने के लिए सुधारों और प्रगतिशील कानूनों की जरूरत है, जिनके अभाव में विकास प्रक्रिया पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में वर्ष 2015 को चुनौतिपूर्ण बताते हुए कहा कि बीते साल पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में रही और बाजारों पर असमंजस के बादल छाये रहे। ऐसे कठिन माहौल में किसी भी राष्ट्र के लिए तरक्की करना सरल नहीं होता, लेकिन चालू वित्त वर्ष में 7.3 प्रतिशत की अनुमानित विकास दर के साथ भारत तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था बनने के मुकाम पर है। मंदी के दौरान भी भारत विज्ञान, प्रौद्योगिकी, नवोन्मेषण और स्टार्टअप के क्षेत्र में तेजी से उभर रहा है, जिसकी आर्थिक सफलता विश्व के लिए एक कौतूहल है।