नई दिल्ली। पेट्रोल-डीजल की कीमतों को नीचे लाने के लिए भारत सरकार ने एक बड़ी योजना बनाई है। पिछ्ले कई महीनों में भारत में पेट्रोलियम पदार्थों की बढ़ती कीमतों और मंहगाई से आम जनता बेहद परेशान है।
भारत ने कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में जारी तेजी के बीच अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ मिलकर अपने आपातकालीन तेल भंडार से निकासी का मन बनाया है। इससे कच्चे तेल की कीमतों में कमी आने का आधार तैयार होगा।
बताया जा रहा है कि भारत सरकार अपने आपातकालीन भंडार (रणनीतिक भंडार) से 50 लाख बैरल कच्चा तेल निकालने की योजना बना रही है। इससे पहले अमेरिका, जापान और दूसरे बड़े देश भी ऐसा कर चुके हैं।
इस समय भारत के पास 3.8 करोड़ कच्चे तेल का आपातकालीन भंडार है। देश के पूर्वी और पश्चिमी तटों के किनारे आपातकाल के दौरान इस्तेमाल करने के लिए तीन जगहों पर कच्चे तेल के भूमिगत रणनीतिक भंडार बनाए गए हैं। इन्हीं भंडारों से ये तेल निकाला जाएगा।
7 से 10 दिनों में निकाला जाने लगेगा तेल : अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अगले 7 से 10 दिनों में इन भंडारों से तेल को निकाला जाने लगेगा और उन्होंने ये भी बताया कि बाद में इन भंडारों से और तेल भी निकाला जा सकता है।
इस कच्चे तेल को मंगलोर रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड यानी एमआरपीएल के साथ हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड यानी एचपीसीएल को बेचा जाएगा। ये दोनों कंपनियां इन भंडारों से पाइप के जरिए जुड़ी हुई हैं।
अमेरिका भी चाहता है तेल के दाम घटें : उल्लेखनीय है कि उत्पादन बढ़ाने और कीमतें काबू में रखने के लिए अमेरिकी दबाव ने तेल उत्पादक देशों के संगठन और उनके सहयोगी देशों (ओपेक प्लस) के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।
तेल के दामों में कमी आए इसके लिए अमेरिका चाहता है कि कच्चे तेल का उत्पादन तेजी से बढ़े। 2020 में कोरोना के चलते मांग में कमी आने के कारण ओपेक प्लस ने कच्चे तेल के उत्पादन में रिकॉर्ड कमी कर दी थी।