हिंदी दिवस पर इस खास बातचीत में प्रोफेसर रामदेव भारद्धाज कहते हैं कि आज बाजारवाद के इस युग में भाषा रोजगार का एक सशक्त माध्यम बन गई है और यही बाजारवाद हिंदी के लिए एक चुनौती बन गया है। बातचीत में वह कहते हैं कि आज हिंदी के सामने सबसे बड़ी चुनौती लोगों की हिंदी के प्रति सोच है। वह कहते हैं कि आज माता-पिता हिंदी की जगह आंग्ल भाषा में अपने बच्चों को शिक्षा देने को प्राथमिकता देते हैं।
आज आवश्यकता इस बात की है कि लोगों में हीनता के प्रति सोच खत्म करनी होगी। वह कहते हैं कि हिंदी के प्रति उत्सुकता बढ़ाने के लिए आज समाज को आगे आना होगा, केवल सरकार और सामाजिक संस्थाओं के प्रयासों से कुछ नहीं होगा।
वह कहते हैं कि आज हिंदी का जो भी प्रचार–प्रसार हो रहा है वह सतही स्तर पर हो रहा है। वह कहते हैं कि जिस तरह अन्य भाषा के लोग अपने ऊपर गर्व करते हैं, वैसे ही हिंदी भाषा के लोगों को भी अपने ऊपर गर्व करना होगा।