क्या है स्वयंभू धर्मगुरु राधे मां की रहस्यमय बीमारी?
मंगलवार, 24 अक्टूबर 2017 (19:29 IST)
मुंबई। विवादित धर्मगुरु राधे मां इन दिनों सोशल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सुर्खियां बटोर रही हैं। राष्ट्रीय टीवी चैनलों में उनके साक्षात्कार की होड़ मची हुई है। इन्हीं से खुलासा हुआ है कि लाल कपड़ों में, माथे पर लंबा सा टीका, होटों पर लाल लिपिस्टिक और हाथ में त्रिशूल थामे रहनी वाली राधे मां इस वक्त रहस्यमय बीमारी की शिकार हैं।
इस रहस्यमय बीमारी का वे मुंबई के ख्यात मनोचिकित्सक से उपचार भी करवा रही हैं। इस रहस्यमय बीमारी के कारण कभी वे खिलखिलाकर हंसने लगती हैं तो कभी तीखे तेवर दिखलाती हैं और ज्यादा कुरेदने पर बच्चों की तरह फूट-फूटकर रोने लगती हैं।
राधे मां की मानें तो वे अवसाद की शिकार हैं। उन्हें रात में नींद नहीं आती है। वे सुकून भरी नींद के लिए कई तरह की दवाई खाने पर मजबूर हैं। भरी जवानी में उनके साथ कई हादसे हुए हैं और वे भक्तों से कहती हैं कि कोई मुझे जहर लाकर दे दे, ताकि मैं मौत को गले लगा सकूं।
राधे मां ने पहले खबरिया चैनल 'आजतक' और फिर 'एबीपी' न्यूज को साक्षात्कार दिए। राधे मां का जन्म पंजाब में हुआ और पिता ने नाम रखा सुखविंदर कौर। सुखविंदर नाम इस लिए रखा ताकि वह सबको सुख दे सके। पिता की माली हालत ठीक नहीं थी और वे अपनी इस बेटी को लेकर कई बाबाओं के दर पर भटकते रहे।
बाद में राधे मां को एक गुरु मिले, जो 130 साल की उम्र में ब्रह्मलीन हो गए। जब उनकी मां की मौत हुई और विवाह के चार साल बाद ही पति उन्हें छोड़कर विदेश चला गया तो इन हादसों के बाद उनकी जिंदगी में बड़ा बदलाव आ गया। पंजाब छोड़कर वे पहले दिल्ली आईं और फिर मुंबई में अपना साम्राज्य खड़ा किया।
राधे मां ने कहा कि मां की मौत और पति की रुसवाई ने मुझे दुनिया के सामने शो ऑफ करने पर मजबूर कर दिया। मैं अपने दु:ख को व्यक्त करने के लिए काली मां के मंदिर में जाकर घंटों तक बैठी रहती थी और उनसे बातें किया करती थी।
धीरे-धीरे मेरे भक्तों की संख्या भी बढ़ती चली गई और लोगों में मुझे दैवीय शक्ति दिखाई देने लगी। उन्होंने बताया कि मैं पढ़ी-लिखी हूं। बात करते-करते अचानक वे भावुक होकर कहने लगती हैं कि काश आज मेरी मां जिंदा होती...मेरे पापा जीवित होते तो मैं उनके गले लगकर कहती, 'मुझे मार डालो।
इसके बाद राधे मां अपने आप गुनगुनाने लगती हैं और पापा को फिल्म 'वो कौन थी' का गीत समर्पित करती हैं। गीत के बोल हैं, 'लग जा गले कि फिर ये हसीं रात हो न हो, शायद इस जनम में मुलाकात हो न हो...' इसके बाद उनकी रुलाई फूट पड़ती है।
राधे मां ने जब 'आजतक' को साक्षात्कार दिया था, तब भी उनकी आंखों से गंगा-जमुना बहने लगी थी, जब उनके पति का जिक्र आ गया था। उनका कहना था कि जिस औरत का पति 4 साल साथ रहने के बाद विदेश चला जाए और कभी न लौटे तो उसका क्या होगा?
उनका कहना था कि मैं बेसहारा रही। पति की बेवफाई के कारण आंखों में आंसू आ जाते हैं। आज में अपने बेटे के पास रहती हूं। मैंने जो ज्वेलरी पहनी है, वो नकली है। मैं 4 हजार का सूट पहनती हूं। साथ में लेगी भी पहनती हूं। रात में नाइट सूट पहनकर सोती हूं। मुझे कपड़े पहनने का शौक है तो मैं भी क्यों न अपनी हसरतें पूरी करूं?
जब राधे मां से आसाराम बापू, राम रहीम और संत रामपाल के बारे में प्रतिक्रिया जानती चाही तो उन्होंने उलटे कहा, 'जिनके घर शीशे के होते हैं, उन्हें दूसरों के घरों में पत्थर नहीं मारने चाहिए।' उनका कहना था कि मैं अपना घर साफ रखती हूं और भक्तों को भी यही सलाह देती हूं।
अखाड़ा परिषद द्वारा फर्जी संत घोषित किए जाने के सवाल पर राधे मां ने कहा कि अखाड़ा परिषद के भीतर ही खूब लड़ाई है। संत आपस में लड़ रहे हैं। जो संत ऐसा करते हैं, वे दूसरों को क्या शिक्षा देंगे? राधे मां से शानो-शौकत के बारे में पूछा गया कि यह सब कहां से आता है तो वे कुछ जवाब देतीं उसके पहले ही उनके भक्त भड़क गए और उन्होंने रिपोर्टर को घेर लिया। (वेबदुनिया न्यूज)