आजादी के बाद से अब तक हुए लोकसभा चुनावों में रायबरेली की जनता ने अधिकतर तो कांग्रेस और नेहरू-गांधी परिवार को ही गले से लगाया है। फिरोज गांधी, इंदिरा गांधी और अरुण नेहरू समेत कांग्रेस के कई दिग्गज संसद में यहां का प्रतिनिधित्व कर खुद को गौरवान्वित महसूस कर चुके हैं, हालांकि हितों की अनदेखी यहां के लोगों को कतई बर्दाश्त नहीं है। वर्ष 1977 का लोकसभा चुनाव इसका प्रत्यक्ष गवाह है, जब पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को यहां जनता पार्टी के राजनारायण के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा था।
निवर्तमान अध्यक्ष और वर्ष 2004 से रायबरेली की सांसद सोनिया गांधी ने भी जिस तरह से अपने संबोधन में राहुल गांधी को एक परिपक्व राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में पेश किया, उससे यह भी यह स्पष्ट हो गया कि अब वे काफी हद तक सक्रिय राजनीति से दूर ही रहेंगी।
इन्हीं संभावनाओं के बीच रायबरेलीवासियों को भी एहसास हो चला है कि गांधी-नेहरू परिवार के तौर पर उन्हें राहुल गांधी का ही स्नेह मिलता रहेगा, हालांकि अमेठी के सांसद होते हुए भी राहुल गांधी का यहां आना-जाना तो जरूर रहा लेकिन राजनीतिक रूप से सक्रियता नगण्य रही। (वार्ता)