सदन नहीं चलने को लेकर राहुल गांधी ने सरकार पर लगाया बड़ा आरोप

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

बुधवार, 11 दिसंबर 2024 (14:27 IST)
Rahul Gandhi on obstruction in Parliament: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को सदन के अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात कर आग्रह किया कि उनके खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे द्वारा की गई ‘अपमाजनक’ टिप्पणियों को कार्यवाही से हटाया जाए। राहुल गांधी का यह भी कहना था कि विपक्ष तो चाहता है कि सदन चले, लेकिन सरकार अडाणी समूह से जुड़े मामले पर चर्चा नहीं चाहती।
 
बिरला से मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने संसद परिसर में कहा कि मैंने लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात कर कहा कि मेरे खिलाफ की जाने वाली अपमानजनक टिप्पणियों को हटाया जाना चाहिए। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा है कि वह इस पर गौर करेंगे। उनका कहना था कि हमारा उद्देश्य है कि सदन चलना चाहिए और सदन में चर्चा होनी चाहिए। वे (सत्तापक्ष) मेरे बारे में जो चाहे कहें, लेकिन हम चाहते हैं कि सदन में चर्चा हो।
संविधान पर होनी चाहिए चर्चा : राहुल गांधी ने कहा कि 13 और 14 दिसंबर को लोकसभा में संविधान पर चर्चा करने की बात तय हुई थी और यह चर्चा होनी चाहिए। कांग्रेस नेता ने कहा कि भाजपा अडाणी से जुड़े मामले से ध्यान भटकाने के लिए जॉर्ज सोरोस से जुड़े आरोप लगा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार अडाणी मामले पर चर्चा नहीं चाहती। वे मुद्दे को भटकाना चाहते हैं, लेकिन हम इस मुद्दे को उठाते रहेंगे।
 
दुबे की राहुल पर अपमानजनक टिप्पणी : इससे पहले, लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की राहुल गांधी के खिलाफ ‘अपमानजनक’ टिप्पणी पर मुख्य विपक्षी दल की शिकायत पर गौर करने और उन्हें ‘रिकॉर्ड’ से हटाने का आग्रह किया। भाजपा सांसद दुबे ने 5 दिसंबर को लोकसभा में शून्यकाल के दौरान कांग्रेस नेताओं- राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समेत विपक्षी दलों पर विदेशी संगठनों और लोगों के माध्यम से देश की संसद, सरकार तथा अर्थव्यवस्था को अस्थिर करने की कोशिश करने का आरोप लगाया था, जिस पर भारी हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही बाधित हुई थी।
 
सरकारी बैंक बने निजी फाइनेंसर : गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को ताकतवर कारोबारी समूहों के लिए ‘निजी फाइनेंसर’ के रूप में तब्दील कर दिया है। राहुल ने बैंकिग क्षेत्र के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद वीडियो साझा करते हुए ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को प्रत्येक भारतीय तक ऋण की सुविधा प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया था। मोदी सरकार ने जनता की इन जीवनरेखाओं को केवल अमीर और शक्तिशाली समूहों के लिए निजी ‘फाइनेंसर’ में बदल दिया है।
 
उनका कहना था कि मैं ‘ऑल इंडिया बैंकिंग ऑफिसर्स कन्फेडरेशन’ के एक प्रतिनिधिमंडल से मिला जिन्होंने हमारे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की स्थिति और आम लोगों पर इसके प्रभाव पर अपनी पीड़ा व्यक्त की। राहुल ने दावा किया कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को लोगों के मुकाबले लाभ को प्राथमिकता देने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इस प्रकार वे प्रभावी ढंग से जनता की सेवा करने में असमर्थ हैं। कर्मचारियों की कमी और कामकाज के खराब माहौल के साथ उनसे समान अवसर के बिना असंभव लक्ष्यों को हासिल करने की उम्मीद की जाती है। उनके अनुसार, महिला कर्मचारियों को समान अवसर या पदोन्नति नहीं दी जाती और बैंक कर्मियों को असंतुष्ट जनता के आक्रोश का भी सामना करना पड़ता है। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala 

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