वह उसको जीवंत बना कर रखती है। सामवेद का एक साथ हिंदी उर्दू अनुवाद हुआ है, इसकी पहली विशेषता है दूसरी विशेषता हिंदी उर्दू अनुवाद करने वाले इकबाल दुर्रानी हैं जो मजहब से मुसलमान है, पर देश से हिंदुस्तानी भारतीय हैं, तीसरी इसकी विशेषता यह है यह सचित्र है इससे यह संदेश जाएगा कि मजहबों में हिंसा, कट्टरता, कन्वर्जन नहीं होना चाहिए बल्कि मजहबों में प्यार हो भाईचारा हो और सभी एक दूसरे के धर्म की इज्जत करें, सम्मान करें।