इसके अतिरिक्त परियोजनाओं के पूरा होने में विलंब का परिणाम लागत में 1.07 लाख करोड़ रुपए की बढ़ोतरी के रूप में निकला और चालू 442 रेल परियोजनाओं पर आगे काम के लिए 1.86 लाख करोड़ रुपए की जरूरत है। यदि विलय होता है तो भारतीय रेलवे को वार्षिक रूप से लाभांश अदा करने से मुक्ति मिल जाएगी, जो उसे हर साल सरकार की ओर से व्यापक बजट सहायता के बदले में देना पड़ता है।