नई दिल्ली। अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के हितों की रक्षा की पूरी प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निरोधक कानून को किसी भी तरह से कमजोर नहीं होगी और आरक्षण को लेकर फैलायी जा रही अफवाहें निराधार हैं।
गृह मंत्री ने सोमवार को ‘भारत बंद’ के दौरान देश के कुछ हिस्सों में हुई हिंसा में जानमाल के नुकसान पर दुख प्रकट किया और शांति एवं व्यवस्था बनाए रखने में सभी राजनीतिक दलों का सहयोग मांगा।
लोकसभा में दिए अपने बयान में सिंह ने यह भी कहा कि सरकार अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के हितों की रक्षा को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है तथा अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निरोधक कानून को किसी भी तरह से कमजोर नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि इन दिनों आरक्षण को लेकर कई तरह अफवाहें चल रही हैं और इनमें कोई आधार नहीं है।
गृह मंत्री ने बताया कि एससी-एसटी कानून को लेकर उच्चतम न्यायालय के हालिया फैसले के खिलाफ सोमवार को आहूत ‘भारत बंद’ के दौरान हुई हिंसा में कुल आठ लोगों की मौत हो गई। मध्य प्रदेश में छह, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में एक-एक व्यक्ति की मौत हुई।
सिंह ने कहा कि वह हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट करते हैं और अपील करते हैं कि लोग शांति बनाए रखें। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय का फैसला 20 मार्च को आया और इसके बाद सरकार ने छह कामकाजी दिनों के भी सारी कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा किया और दो अप्रैल को शीर्ष अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर दी गई।
कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों के सदस्यों की टोका-टाकी तथा अन्नाद्रमुक सदस्यों की नारेबाजी के बीच सिंह ने कहा कि एर्टार्नी जनरल ने पुनर्विचार याचिका पर शीघ्र सुनवाई का आग्रह किया और उच्चतम न्यायालय ने आज ही सुनवाई पर सहमति जताई।
उन्होंने कहा कि इस मामले में सरकार की तत्परता पर किसी तरह का संदेह नहीं किया जा सकता। सरकार ने एससी-एसटी कानून को किसी भी तरह से कमजोर नहीं किया है।
गृह मंत्री ने कहा कि गृह मंत्रालय ने शांति बनाए रखने के लिए राज्यों को परामर्श जारी किया और राज्यों की ओर से जो भी मदद मांगी गई वो मुहैया कराई गई। उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय स्थिति पर नजर बनाए हुए है और राज्यों के संपर्क में भी बना हुआ है।
गृह मंत्री के बयान के दौरान कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, माकपा, राकांपा और आम आदमी पार्टी के सदस्यों ने टोका-टाकी की और हिंसा रोकने में सरकार पर नाकामी का आरोप लगाया। कांग्रेस के सुनील जाखड़ और कांतिलाल भूरिया ने यह सवाल किया कि हिंसा को क्यों नहीं रोका जा सका। उन्होंने सरकार पर एससी-एसटी कानून को कमजोर करने और दलित विरोधी रुख अपनाने का आरोप लगाया।
तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने आरोप लगाया कि सरकार के अतिरिक्त सॉलीशीटर जनरल ने उच्चतम न्यायालय में पक्ष को सही ढंग से नहीं रखा जिस वजह से यह फैसला आया। उन्होंने दावा किया कि सरकार जानबूझकर इस कानून को कमजोर करने की कोशिश की है। (भाषा)