सिंह ने कहा कि महोत्सव का इस वर्ष का संस्करण विशेष है, क्योंकि देश 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध का 50वां वर्ष मना रहा है। कई पूर्व सैनिक मौजूद हैं जिन्होंने उस युद्ध को लड़ा। उन्होंने युवाओं से उन पूर्व सैनिकों से सीख लेने का आग्रह किया। उनका पिछले साल के महोत्सव में भाग लेने का कार्यकम था लेकिन संसद सत्र के कारण वे चंडीगढ़ नहीं आ सके, लेकिन वे महोत्सव के कार्यक्रमों के बारे में जानकारी लेते रहे।
उन्होंने कहा कि महोत्सव से सशस्त्र बलों के कामकाज के बारे में आम लोगों की समझ बेहतर हुई और युवाओं में देशभक्ति की भावना पैदा हुई। पंजाब दशकों से बहादुरों की भूमि रही है और ऐसे में यह स्वाभाविक है कि इस तरह के महोत्सव यहां शुरू हुए। यह कार्यक्रम उन योद्धाओं का भी सम्मान है जिन्होंने देश की खातिर अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।