Ayodhya Ram Janmotsav: इस बार की रामनवमी रामभक्तों के लिए बहुत ही खास होने होगी। रामलला के भव्य मंदिर में विराजने के बाद अयोध्या धाम में पहली बार राम जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस दिन रामलला का अभिषेक सूर्य की किरणें करेंगी। यह दृश्य बहुत ही अद्भुत होगा, जिसकी एक झलक पाकर रामभक्त निहाल हो जाएंगे।
श्रीराम जन्मभूमि के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता ने बताया कि 17 अप्रैल को रामनवमी पड़ रही है, इसी दिन रामलला का भव्य-दिव्य जन्मोत्सव मनाने की तैयारियां तेजी के साथ चल रही हैं। उन्होंने बताया कि रामलला चांदी और सोने के तारों से बुना विशेष डिजाइनवाला सुन्दर-सा वस्त्र पहनेंगे, जिसे दिल्ली से विमान के जरिए लाया जाएगा।
50 क्विंटल फूलों से सजाया जाएगा मंदिर : राम जन्मभूमि को 50 क्विंटल देशी-विदेशी फूलों से सजाया जाएगा। उनके श्रृंगार की दिव्य व्यवस्था की गई है। जन्मोत्सव के अवसर पर शास्त्रीय गीत, बधाई गीत व सोहर गीत गाए जाएंगे। वेदों और पुराणों का पाठ होगा, भोग के लिए 56 प्रकार के विशेष पकवान बनाए जाएंगे। सम्पूर्ण अयोध्या नगरी में हर्षोल्लास का ऐसा वातावरण होगा। राम जन्म का उत्सव 2 दिन पहले ही शुरू हो जाएगा। उस समय श्रीराम जन्मभूमि मंदिर ही नहीं बल्कि पूरी अयोध्या रामलला के जन्मदिन पर सज-धजकर उनका अभिनंदन कर रही होगी। यहां तक कि भगवान सूर्य भी उनका अपनी किरणों के द्वारा उनका अभिषेक करते दिखाई देंगे।
अद्भुत और अलौकिक दृश्य : गुप्ता ने बताया कि जन्मोत्सव के उल्लास में डूबे राम भक्त जब 12:00 बजे गर्भगृह का पर्दा हटाने के बाद उनका दर्शन करेंगे तो वह समय अद्भुत और अलौकिक होगा। उस समय सूर्य की किरणें उनके ललाट पर पड़ेंगी और खुद सूर्य देवता उनका अभिषेक करेंगे। आखिर भगवान श्रीराम से सूर्य देव का क्या रिश्ता है? गोस्वामी तुलसीदास ने इसका बड़ा मार्मिक वर्णन किया है। सूर्यवंश में श्रीराम प्रकट हुए हैं। तब भगवान सूर्य ने कहा कि मेरा मान बढ़ गया है मैं जन्मोत्सव देखूंगा।
उस दौर के बाद अब ऐसा होने वाला है, जब मध्याह्न में रामलला की आरती हो रही होगी, उस समय उनके मस्तिष्क पर सूर्य की किरणें पड़ेंगी। यह वैसा ही है जैसे किसी बालक के जन्मदिन पर उसके पूर्वज उसके बड़े लोग उसके सिर पर हाथ रखकर उसकी मंगल कामना करते हैं। आशीर्वाद देते हैं।
पूरी दुनिया में लाइव प्रसारण : श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के गर्भ गृह के पूजा व्यवस्थापक महंत मिथिलेश नंदिनी शरण ने बताया कि बड़ी विराट तैयारी हैं। पहली बार ऐसा हो रहा है जब शताब्दियों के बाद रामलला अपनी जन्मभूमि पर बैठकर अपने जन्मदिन की बधाई सुनेंगे, वैसे तो यह देश सदियों से बधाई सुना रहा है, जन्मोत्सव मना रहा है, लेकिन वह अलग-अलग भक्तों के हृदय में और उनके द्वारा रची गई जगह पर यह एक ऐसी प्राकृतिक जगह श्रीराम जन्मभूमि है, जहां त्रेता युग में खुद भगवान प्रकट हुए थे।
ब्रह्मूहर्त से लगभग एक घंटा पहले ही भगवान का जागरण होगा। मंगला आरती होगी और मंगला आरती के बाद उनके श्रृंगार की विधियां जो होती हैं, वह होंगी। रामनवमी के दिन रामलला का अभिषेक होगा। पहली बार लोग अभिषेक का दर्शन कर पाएंगे। इसका लाइव प्रसारण किया जाएगा। पूरा दिन ब्रह्मूहर्त से लेकर के देर रात्रि तक लोग भगवान का दर्शन कर सकेंगे।