अब चिंता का विषय शायद इन लोगों का यही है कि रामचरित मानस कि जो जनस्वीकार्यता है, वह अद्भुत है और उन्हें बांटने का प्रयास करने वाले लोग अंततः असफल होंगे, इसमें कोई संदेह नहीं है। उन्होंने कहा कि क्या ये तथाकथित राजनीतिक विद्वान ये जानते हैं कि अयोध्या मे 62 जातियों के अपने पंचायती मंदिर हैं, जो कि राम मंदिर है या यूं कहें कि ये वर्तमान में काफी विलुप्त हो चुके हैं। हमने अध्ययन किया था जिसमें पता चला था लेकिन सभी 62 जातियों के आराध्य श्रीराम ही हैं।