नई दिल्ली। गारंटी की एक शर्त और कीमतों में जबरदस्त वृद्धि से अरबों डॉलर का राफेल लड़ाकू विमान सौदा खटाई में पड़ सकता है। भारत ने साफ कर दिया है कि गेंद फ्रांस के पाले में है, क्योंकि वह इसके बदले में और रूसी सुखोई-30 एमकेआई युद्धक विमान खरीदने का विकल्प तलाश रहा है।
भारत इस बात पर जोर दे रहा है कि राफेल का निर्माण करने वाली दसॉल्ट एविएशन रिक्वेस्ट फॉर प्रोपोजल (आरएफपी) की शर्तों से मुकर नहीं सकता जिस पर उसने पहले रजामंदी जाहिर की थी। हालात इस तरह के बन गए हैं कि अनुबंध बचाने के वास्ते सभी बाकी मुद्दे हल करने के लिए फ्रांस को एक अधिकारप्राप्त प्रतिनिधि भेजना पड़ रहा है।