वन नेशन, वन समोसा? रवि किशन ने संसद में उठाया समोसे का मुद्दा, सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस!

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

शुक्रवार, 1 अगस्त 2025 (14:10 IST)
Ravi Kishan raised samosa issue in parliment : भारतीय राजनीति में अक्सर गंभीर मुद्दों पर बहस होती रहती है, लेकिन कभी-कभी कुछ ऐसे मुद्दे भी संसद में उठ जाते हैं, जो सबका ध्यान अपनी ओर खींच लेते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ जब बीजेपी सांसद और मशहूर अभिनेता रवि किशन ने संसद में समोसे की कीमतों और उसके आकार में असमानता का मुद्दा उठाया। उन्होंने सरकार से इस पर एक ठोस नीति बनाने की मांग की है, जिसके बाद सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक इस पर बहस छिड़ गई है।
 
"कहीं छोटा समोसा, कहीं बड़ा समोसा": रवि किशन की अनोखी मांग
रवि किशन ने संसद में अपने बयान से सबको चौंका दिया। उन्होंने कहा, 'कहीं छोटा समोसा, कहीं बड़ा समोसा—न दाम तय, न साइज का भरोसा! हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री ने हर क्षेत्र में युगांतकारी परिवर्तन किए, लेकिन यह क्षेत्र अभी अछूता है।' उन्होंने आगे कहा, 'समोसा कहीं बड़ा है, कहीं छोटा है।' अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए, रवि किशन ने यह भी मांग की कि ढाबे से लेकर फाइव स्टार होटल तक खाद्य पदार्थ की मात्रा और रेट एक होना चाहिए।
 
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो, पक्ष-विपक्ष में बहस : रवि किशन का यह बयान आते ही सोशल मीडिया पर इसका वीडियो तेजी से वायरल हो गया। लोग इस पर अपनी-अपनी राय दे रहे हैं। कुछ इसे हास्यपूर्ण मान रहे हैं और रवि किशन के इस 'समोसा प्रेम' पर चुटकी ले रहे हैं, वहीं कई लोग इसे जनहित का मुद्दा बता रहे हैं। उनके मुताबिक, यह आम आदमी की जेब से जुड़ा मामला है, जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
गरमाई समोसे पर सियासत : समोसे के इस मुद्दे ने राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा छेड़ दी है। कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने रवि किशन की मांग पर तंज कसते हुए कहा, 'क्या वे प्रधानमंत्री मोदी के मित्र गौतम अडानी द्वारा संचालित हवाई अड्डों पर महंगे समोसों के रेट को भी नियंत्रित करने की बात करेंगे?' उन्होंने इस मुद्दे को महंगाई और बड़े उद्योगपतियों से जोड़कर सरकार पर निशाना साधा।
 
वहीं, बीजेपी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कांग्रेस की आलोचना करते हुए कहा कि वे जनहित के मुद्दों पर ध्यान नहीं देना चाहते और सिर्फ शोर मचाने में लगे हैं। उन्होंने रवि किशन की पहल को आम आदमी से जुड़ा मुद्दा बताया।
 
गंभीरता या हास्य? समोसे का मुद्दा बना विचारणीय : रवि किशन का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब देश में महंगाई, बेरोजगारी और अन्य गंभीर मुद्दों पर चर्चा हो रही है। हालांकि, उनके इस बयान ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या खाद्य पदार्थों की कीमत और मात्रा पर नियंत्रण की आवश्यकता है या यह सिर्फ एक हास्यपूर्ण मुद्दा है।
 
रवि किशन की इस पहल ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि संसद में उठाए जाने वाले मुद्दे कितने विविध हो सकते हैं। अब देखना यह है कि सरकार इस 'वन नेशन, वन समोसा' की मांग पर क्या कदम उठाती है और क्या आम आदमी को हर जगह एक ही कीमत और आकार का समोसा खाने को मिलेगा!
edited by : Nrapendra Gupta 

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