इसकी शुरुआत अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के साथ हुई, जिसमें समूह के संचालन के बारे में कई आरोप लगाए हैं। अहमदाबाद मुख्यालय वाले समूह ने सभी आरोपों का खंडन किया है, लेकिन विश्लेषकों और निवेशकों को अपनी बात समझाने में विफल रहा है।
बैंकिंग सूत्रों ने कहा कि बड़े ऋण संबंधी आंकड़ों की जानकारी के तहत आरबीआई नियमित रूप से बैंकों के बड़े कॉर्पोरेट उधारकर्ताओं का ब्योरा लेता है। कई बार बैंक गिरवी रखी गई प्रतिभूतियों के बदले उधार देते हैं और अडाणी समूह की 10 सूचीबद्ध कंपनियों के इक्विटी शेयरों की कीमत में भारी गिरावट के चलते गिरवी रखी गई प्रतिभूतियों की कीमत भी घट सकती है।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)