इसके पीछे मकसद जरूरतमंद वर्ग को अधिक कर्ज उपलब्ध कराना था। रिजर्व बैंक ने इसमें कहा, तरलता से लबालब भरे बैंक इन जरूरतमंद वर्गों को कर्ज दे सकते हैं और ऐसा करते समय उन्हें सीआरआर के लिए अतिरिक्त प्रावधान नहीं करना होगा।
बैंकों को सीआरआर राशि रिजर्व बैंक के पास रखनी होती है जिस पर उन्हें कोई ब्याज नहीं मिलता है। बैंक क्षेत्र के नियामक ने वाहन, आवास और सूक्ष्म, लघु एवं मझौले (एमएसएमई) क्षेत्र की उन क्षेत्रों के तौर पर पहचान की है जिन्हें प्राथमिक रूप से अतिरिक्त कर्ज उपलब्ध कराया जाना चाहिए।