पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस बुधवार को उस महिला चिकित्सक के घर पहुंचे जिसकी कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कालेज में दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। कटक से लौटे बोस चिकित्सक के घर गए और उसके माता-पिता से बात की। बोस ने मंगलवार को चिकित्सक के माता-पिता से दो बार फोन पर बात की थी और उन्हें न्याय का आश्वासन दिया था। मीडिया से बात करते हुए बोस ने कहा कि मैंने माता-पिता दोनों की बात सुनी है। मैं एक बंद लिफाफे में मुख्यमंत्री को लिखूंगा। उन्होंने मुझे कुछ बातें बताई है।
पूर्व नौकरशाहों और हस्तियों ने की इंसाफ की मांग : हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीशों एवं पूर्व नौकरशाहों समेत प्रमुख हस्तियों के एक समूह ने कोलकाता की पीड़िता के लिए इंसाफ की मांग करते हुए बुधवार को कहा कि कोलकाता में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ बलात्कार एवं हत्या पश्चिम बंगाल में बिगड़ते सामाजिक-सांस्कृतिक परिदृश्य और महिलाओं के सामने आने वाले गंभीर खतरों की याद दिलाती है।
एक संयुक्त बयान में, प्रमुख हस्तियों ने आरोप लगाया कि यह घटना पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में व्याप्त “उदासीनता, कुशासन और जवाबदेही की कमी” को उजागर करती है और पीड़िता की रक्षा करने के बजाय अपराधियों को बचाने की राज्य सरकार की “स्पष्ट प्रवृत्ति न्याय उपलब्ध कराने में गंभीर नाकामी” को दर्शाती है।
उन्होंने कहा, “पश्चिम बंगाल में यह कोई अकेली घटना नहीं है। एक आम तस्वीर उभर कर सामने आती है कि पिछले कई सालों से राज्य में कई वर्गों में हिंसा देखी गयी है।”
प्रमुख हस्तियों ने कहा कि चुनाव के दौरान हुई हिंसा से लेकर हाल में हुए बलात्कारों तक, राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर आत्मनिरीक्षण की जरूरत है और तत्काल सुधारात्मक उपाय किए जाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, “यह कार्रवाई का समय है। हम सभी महिलाओं के लिए एक सुरक्षित, अधिक न्यायपूर्ण समाज की मांग करते हैं। हम पश्चिम बंगाल के अधिकारियों से हमारी बहन को न्याय दिलाने की मांग करते हैं।”
संयुक्त बयान पर कुल 295 प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने हस्ताक्षर किए, जिनमें पूर्व पुलिस प्रमुख, पूर्व राजदूत और पूर्व सैनिक भी शामिल हैं।
बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में सिक्किम उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश प्रमोद कोहली, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा, पूर्व रक्षा सचिव धनेन्द्र कुमार, पूर्व रॉ प्रमुख संजीव त्रिपाठी, पूर्व राजदूत भास्वती मुखर्जी और बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्रालय के पूर्व सचिव गोपाल कृष्ण शामिल हैं।
बयान में उन्होंने कहा कि आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज, कोलकाता में प्रशिक्षु डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या को शुरू में आत्महत्या बताया गया था और पीड़िता के माता-पिता को अपनी बेटी का शव देखने की अनुमति देने से पहले कई घंटों तक इंतजार कराया गया।
प्रमुख हस्तियों ने दावा किया कि जांच की गहनता पर सवाल उठने के बाद जल्दबाजी में गिरफ्तारी की गई।
बयान में कहा गया, “यह जघन्य अपराध न केवल न्याय की मांग करता है, बल्कि तत्काल बदलाव की अपील भी करता है। यह अधिकारियों के लिए एक चेतावनी है कि वे सभी जातियों और धर्मों की महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता दें।”
डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए कई सिफारिशें करते हुए उन्होंने कहा, “जिन इलाकों में डॉक्टर रात की ड्यूटी पर हैं, वहां गश्त और सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए। महिला और पुरुष डॉक्टरों के लिए अलग-अलग और पर्याप्त शौचालय उपलब्ध कराए जाने चाहिए। डॉक्टरों के कमरों में आपातकालीन एसओएस सुविधाओं के साथ इंटरकॉम सिस्टम स्थापित किए जाने चाहिए।”