दुलानी ने पत्र में कहा है, 'फिर मैं किसी को कुछ बताए बिना कुछ समय के लिए जोधपुर से चला गया। जब से उच्च न्यायालय का फैसला आया है तब से मुझे उन अज्ञात व्यक्तियों द्वारा लगातार धमकियां दी जा रही हैं जो लोग मुझ पर और मेरे परिवार वालों पर निगरानी रख रहे हैं।'
गौर का कहना है कि निचली अदालत का फैसला आने के बाद और झूठा प्रमाण देने के लिए 18 अप्रैल 2006 को नोटिस मिलने के बाद दुलानी ने उसे वकील नियुक्त किया। 'तब से वह इस मामले की सुनवाई में नियमित पेश हुआ है। उसकी अनुपस्थिति बहुत ही कम रही लेकिन खान के खिलाफ मामले में उसने किसी धमकी का जिक्र नहीं किया था'। (भाषा)