Sanjay Joshi name for post of BJP President: लंबे समय राजनीतिक वनवास भोग रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्णकालिक प्रचारक संजय जोशी का नाम अचानक भाजपा अध्यक्ष पद के लिए उभरकर आया है। यह एक संयोग है या फिर किसी 'खास रणनीति' का हिस्सा, इस पर फिलहाल अटकलें ही चल रही हैं। लेकिन, भाजपा की वर्तमान राजनीति में यह नाम निश्चित ही चौंकाने वाला है। ऐसा नहीं है कि जोशी इस पद के योग्य नहीं है, उनकी गिनती कुशल संगठकों में होती हैं। यह भी ध्यान रखने वाली बात है कि वर्तमान भाजपा में जिन नेताओं का दबदबा है, जोशी की उनके साथ बिलकुल भी पटरी नहीं बैठती।
भाजपा को बहुत अच्छे से समझते हैं जोशी : मैकेनिकल इंजीनियर की डिग्री वाले 62 वर्षीय संजय जोशी भाजपा के 'मैकेनिज्म' को भी बखूबी समझते हैं। वे संघ के पूर्वकालिक प्रचारक हैं। 1989-90 में संजय जोशी को आरएसएस ने संगठन को मजबूत करने के लिए गुजरात भेजा था। उस समय उन्हें संगठन मंत्री का पद दिया गया था, जबकि नरेन्द्र मोदी संगठन मंत्री के रूप पहले से ही काम कर रहे थे। दोनों ने ही मिलकर पार्टी को मजबूत किया और 1995 में भाजपा ने पहली बार गुजरात में सरकार बनाई।
...और दोनों के बीच दूरियां बढ़ीं : गुजरात में 1998 में भाजपा एक बार फिर सत्ता में आई। कहा जाता है कि मोदी उस समय गुजरात आना चाहते थे, लेकिन जोशी के कारण ऐसा नहीं हो सका। इसी के बाद दोनों के बीच की दूरियां बढ़ गईं। केशुभाई फिर राज्य के सीएम बने। 2001 में राजनीतिक समीकरण बदले और मोदी की गुजरात में वापसी हुई और वे मुख्यमंत्री पद पर आसीन हो गए।
संघ के करीब हैं जोशी : जोशी और मोदी के संबंधों की खटास किसी से भी छिपी नहीं है, लेकिन जोशी कई मौकों पर मोदी की तारीफ कर चुके हैं। नागपुर में जन्मे संजय जोशी संघ के काफी करीब हैं। वे पूर्णकालिक प्रचारक के तौर पर संघ में सक्रिय भी हैं। जेपी नड्डा के बयान कि भाजपा अब बड़ी हो गई है, उसे संघ की जरूरत नहीं है, इस बयान को लेकर संघ में नाराजगी है। संघ भी चाहता है कि अध्यक्ष पद पर संघ के प्रति समर्पित कोई व्यक्ति बैठे। यदि जोशी इस पद पर बैठते हैं तो संघ सरकार पर भी शिकंजा कस पाएगा। हालांकि यह भी सही है कि जोशी की भाजपा में वापसी आसान नहीं होगी।