सावित्रीबाई फुले आधुनिक शिक्षा प्रणाली में पहली महिला अध्यापिका थीं और उन्हें आधुनिक मराठी कविता में अगुवा माना जाता है। डूडल के रूप में बनाए गए इस चित्र में सावित्रीबाई फूले का जो चित्र है, उसमें वह अपने आंचल में समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों को समेटे हुए हैं।
सावित्रीबाई फुले और उनके पति ज्योतिराव फुले ने वर्ष 1848 मात्र नौ विद्यार्थियों को लेकर एक स्कूल की शुरुआत की थी। महाराष्ट्र में तीन जनवरी 1831 को एक किसान परिवार में जन्मी सावित्रीबाई फुले का विवाह नौ वर्ष की आयु में 12 वर्षीय ज्योतिराव फुले के साथ हुआ। उनके कोई संतान नहीं हुई और उन्होंने एक ब्राह्मण विधवा के पुत्र यशवंतराव को गोद ले लिया। इसका फुले परिवार में तीखा विरोध हुआ तो दंपति ने अपने परिवार से संबंध समाप्त कर लिया।
सावित्रीबाई ने विधवाओं के लिए एक केंद्र की स्थापना की और उनको पुनर्विवाह के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने अछूतों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। वर्ष 1897 में प्लेग फैलने के दौरान उन्होंने पुणे में अपने पुत्र के साथ मिलकर एक अस्पताल खोला और अस्पृश्य माने जाने वाले लोगों का इलाज किया। हालांकि इस दौरान वह स्वयं प्लेग से पीड़ित हो गईं और उसी वर्ष मार्च में उनका निधन हो गया।