केंद्र सरकार ने कोरोनावायरस महामारी से प्रभावित सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) की सहायता के लिए 2020 में ईसीएलजीएस शुरू की थी। यह 20 लाख करोड़ रुपए के आत्मनिर्भर भारत अभियान पैकेज का सबसे बड़ा हिस्सा है।
एसबीआई रिसर्च ने एक रिपोर्ट में कहा, हमारा अनुमान है कि करीब 13.5 लाख सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम खाते ईसीएलजीएस के कारण बच गए। इनमें से 93.7 फीसदी इकाइयां सूक्ष्म और लघु श्रेणी की हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 1.8 लाख करोड़ रुपए के एमएसएमई ऋण खातों को इस अवधि के दौरान गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) में बदलने से बचाया गया था।
यह बकाया एमएसएमई ऋण के 14 प्रतिशत के बराबर है जिसे एनपीए यानी फंसे कर्ज बनने से बचाया गया। इसमें कहा गया, यदि ये इकाइयां गैर-निष्पादित आस्तियों में बदल जातीं तो 1.5 करोड़ कामगार बेरोजगार हो जाते। ईसीएलजीएस ने छह करोड़ परिवारों की आजीविका बचा ली।राज्यवार देखा जाए तो योजना का सर्वाधिक लाभ गुजरात को मिला, इसके बाद महाराष्ट्र, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश को मिला।
योजना के तहत पात्र एमएसएमई इकाइयों और इच्छुक मुद्रा (माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी) कर्जदाताओं को 4.5 लाख करोड़ रुपए तक के अतिरिक्त वित्त पोषण के लिए राष्ट्रीय ऋण गारंटी ट्रस्टी कंपनी (एनसीजीटीसी) 100 प्रतिशत गारंटी कवरेज देती है। इसके लिए सरकार ने वर्तमान और अगले तीन वित्त वर्षों के लिए 41,600 करोड़ रुपए का एक कोष स्थापित किया।(भाषा)